बच्चों के अधिकारों पर जागरूकता: दौलतपुर प्राथमिक विद्यालय में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन
शोषण के विरुद्ध अधिकार, पॉक्सो एक्ट व बाल संरक्षण कानूनों पर दी गई विस्तृत जानकारी
कौशाम्बी - जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कौशाम्बी के तत्वावधान में प्राथमिक विद्यालय, दौलतपुर कड़ाधाम, सिराथू में शोषण के विरुद्ध अधिकार, पॉश एक्ट और बच्चों के अधिकार विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता, प्राधिकरण की सचिव श्रीमती पूर्णिमा प्रांजल ने कहा कि हर बच्चे को सुरक्षित, सम्मानजनक और भयमुक्त वातावरण देना समाज और सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार अधिवेशन, किशोर न्याय अधिनियम, पॉक्सो अधिनियम और राष्ट्रीय बाल नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि 18 वर्ष से कम आयु का प्रत्येक व्यक्ति बालक की श्रेणी में आता है और उसके अधिकारों की रक्षा कानूनी रूप से सुनिश्चित की गई है।
क्या है शोषण की परिभाषा
श्रीमती प्रांजल ने स्पष्ट किया कि बच्चों को मारना, डराना, गाली देना, चिढ़ाना, अश्लील सामग्री दिखाना, मजदूरी कराना, या उनकी बातों को नजरअंदाज करना—ये सभी कृत्य शोषण की श्रेणी में आते हैं और कानूनी अपराध हैं।
संविधान और कानून में बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा
अधिवक्ता उम्मे हबीबी ने बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 और 24 में शोषण के खिलाफ स्पष्ट प्रावधान हैं, वहीं अनुच्छेद 45 सभी बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है।
उन्होंने बाल मजदूरी (निषेध एवं नियमन) अधिनियम, 1986 और पॉक्सो अधिनियम, 2012 के प्रावधानों की जानकारी देते हुए कहा कि इन कानूनों का उद्देश्य बच्चों को हर प्रकार के उत्पीड़न से मुक्त करना है।
लीगल सर्विस यूनिट फॉर चिल्ड्रेन का किया गया उल्लेख
शिविर में यह भी बताया गया कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों पर प्रत्येक ज़िले में लीगल सर्विस यूनिट फॉर चिल्ड्रेन का गठन किया गया है जो देखभाल योग्य बच्चों और विधि का उल्लंघन करने वाले किशोरों की सहायता के लिए कार्यरत है।
अभिभावकों और शिक्षकों की भी अहम भूमिका
मुख्य अतिथि ने यह भी कहा कि बच्चों की शिकायतों को नजरअंदाज करना, उनकी बात न सुनना, या उन्हें असुरक्षित माहौल देना भी अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने सभी को बच्चों के अधिकारों के प्रति संवेदनशील रहने का आह्वान किया।
शिकायत कहां करें
यदि किसी बच्चे के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा हो तो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय, तहसील स्थित लीगल एड क्लिनिक, चाइल्डलाइन या विधिक सेवा प्राधिकरण के टोल फ्री नंबर पर शिकायत की जा सकती है।
कार्यक्रम में विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री राजकुमार प्रसाद, ग्राम प्रधान अनिल कुमार शर्मा, शिक्षकगण, पीएलवी ज्योत्सना सोनकर तथा सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
शिविर में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा निःशुल्क विधिक सहायता, पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना और आपदा पीड़ितों के लिए सेवाएं जैसे विषयों पर भी जानकारी दी गई।
ब्यूरो - राकेश दिवाकर (हिंदी दैनिक विश्व सहारा)
9648518828
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