गंगा दशहरा पर उमरवल के यमुना घाट पर गूंजे भजन, सैकड़ों ने की मां यमुना की आरती
कौशांबी जनपद के नेवादा ब्लॉक क्षेत्र स्थित ऐतिहासिक उमरवल यमुना घाट पर आध्यात्मिकता, श्रद्धा और पर्यावरण चेतना का अनुपम संगम देखने को मिला। बृहस्पतिवार को यमुना की उमरवाल घाट पर आयोजित भव्य तरीके से यमुना आरती की गई आरती के दौरान भजन कार्यक्रम का आयोजन हुआ।कार्यक्रम में क्षेत्र के सैकड़ों श्रद्धालु, ग्रामवासी, जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अधिकारी पूरे भक्तिभाव से सम्मिलित हुए। भजनों की मधुर धुनों, शंखनाद और दीपों की रौशनी से यमुना घाट पर एक दिव्य वातावरण का सृजन हुआ।
आध्यात्मिकता और पर्यावरण चेतना का संगम
कार्यक्रम का शुभारंभ गीत कलाकारों के माध्यम के साथ हुआ, जिसमें स्थानीय कलाकारों और ग्रामीणों ने मिलकर वातावरण को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। भजन मंडलियों द्वारा प्रस्तुत भक्ति गीतों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। गंगा दशहरा के साथ ही विश्व पर्यावरण दिवस होने के कारण आयोजन का महत्व और भी अधिक बढ़ गया था। इस अवसर पर मां यमुना की विधिवत पूजा-अर्चना की गई और सामूहिक आरती में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने दीप प्रज्वलन कर भाग लिया।
इस विशेष आयोजन में प्रशासनिक अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी आयोजन को विशेष महत्व प्रदान कर गई। कार्यक्रम में बतौर नोडल अधिकारी मुख्य अतिथि खंड विकास अधिकारी चायल दिनेश कुमार मौजूद रहे। उनके साथ आईएसबी अजय कुमार, ग्राम विकास अधिकारी संदीप सिंह एवं अखिलेश सोनी, ग्राम प्रधान अर्जुन सिंह, समस्त पंचायत कर्मी और ब्लॉक स्टाफ ने भी उपस्थिति दर्ज की।
इन अधिकारियों ने न केवल आयोजन में भाग लिया, बल्कि उपस्थित ग्रामीणों को पर्यावरण एवं जल संरक्षण के प्रति प्रेरित भी किया। खंड विकास अधिकारी दिनेश कुमार ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा, "आज जब पूरी दुनिया पर्यावरण संकट से जूझ रही है, ऐसे आयोजनों के माध्यम से हम जनसामान्य को प्रकृति से जोड़ सकते हैं। यमुना और गंगा नदियां हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं, इनकी रक्षा करना हमारा दायित्व है।"
आरती के पश्चात सभी श्रद्धालुओं और अधिकारियों ने गंगा एवं यमुना नदी की स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और ग्राम विकास के लिए सामूहिक रूप से शपथ ली। आयोजन समिति द्वारा वितरित स्लोगन पोस्टरों और हरे पौधों ने आयोजन को पर्यावरणीय संदेश से भी जोड़ दिया। इस अवसर पर वृक्षारोपण का भी संकल्प लिया गया, जिसे आगामी सप्ताह में गांव स्तर पर संपन्न किया जाएगा।
सांस्कृतिक चेतना को भी मिली ऊर्जा
सांस्कृतिक रूप से समृद्ध इस आयोजन ने न केवल ग्रामीणों को धार्मिक भावनाओं से जोड़ने का कार्य किया, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी परंपराओं एवं प्रकृति की महत्ता से भी परिचित कराया। भजनों के माध्यम से प्रकृति के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता का भाव सजीव रूप से व्यक्त हुआ।
नदियां केवल जलधाराएं नहीं, जीवनधारा हैं
कार्यक्रम के समापन पर ग्रामीणों ने साझा रूप से संदेश दिया कि यमुना या गंगा नदियां केवल जल का स्रोत नहीं हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति की जीवनधारा हैं। इनका संरक्षण करना केवल सरकार या प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।
ब्यूरो- राकेश दिवाकर (विश्व सहारा हिंदी दैनिक) व editor- bharat tv gramin
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