बाल श्रम निषेध दिवस पर उलाचुपुर में जागरूकता कार्यक्रम, बच्चों के अधिकारों और श्रमिक कल्याण योजनाओं की दी गई जानकारी


बाल श्रम निषेध दिवस पर कौशाम्बी में जागरूकता की गूंज,बच्चों के अधिकारों की पैरवी और श्रमिकों के भविष्य की नई दिशा
कौशाम्बी, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ द्वारा प्राधिकरण की सचिव श्रीमती पूर्णिमा प्रांजल ने जब उलाचू पुर गांव में सशक्त साक्षरता जागरूकता का आयोजन पहुंचीं तो गाँव की शांत फिज़ाओं में उस वक्त जागरूकता की एक नई लहर दौड़ पड़ी, जब बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कौशाम्बी द्वारा ग्राम उलाचुपुर, थाना कोखराज, तहसील सिराथू में एक सशक्त साक्षरता एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक अभियान था बच्चों का बचपन बचाने और श्रमिकों को उनके अधिकारों से जोड़ने का।

इस विशेष आयोजन की कमान संभाली श्रम प्रवर्तन अधिकारी महंत प्रजापति ने, जिन्होंने न केवल बाल श्रम निषेध दिवस की मूल भावना को सरल भाषा में समझाया, बल्कि ग्रामीणों को लेबर कार्ड, और उससे जुड़ी सरकारी योजनाओं जैसे—श्रमिक पेंशन योजना, मातृत्व लाभ योजना, और प्रधानमंत्री श्रमिक मानधन योजना की भी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिनके पास अभी तक लेबर कार्ड नहीं है, वे शीघ्रता से इसे बनवाएं ताकि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन्हें मिल सके।
कार्यक्रम की प्रमुख वक्ता और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव श्रीमती पूर्णिमा प्रांजल ने बच्चों के अधिकारों पर गहराई से बात करते हुए बताया कि बाल मजदूरी कानूनन अपराध है और हर बच्चे को सुरक्षित, शिक्षित और सम्मानजनक जीवन मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गरीब, पीड़ित और वंचित वर्गों को निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराता है।

उन्होंने उपस्थित श्रमिकों को भरोसा दिलाया कि यदि उन्हें कभी कानूनी सहायता या किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है, तो वे बेझिझक प्राधिकरण के कार्यालय में आकर सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

इस मौके पर बाल संरक्षण अधिकारी अजीत कुमार ने बचपन बचाओ के संदर्भ में सरकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा और पुनर्वास के लिए गंभीर है। उन्होंने उपस्थित अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों को मजदूरी की ओर न धकेलें, बल्कि उन्हें स्कूल भेजें, ताकि उनका भविष्य संवर सके।

कार्यक्रम के दौरान एक पल ऐसा भी आया जब एक श्रमिक महिला ने भावुक होते हुए बताया कि उसे कभी यह एहसास ही नहीं था कि उसके बेटे को ईंट भट्टे पर काम कराना अपराध है। लेकिन आज, इस कार्यक्रम के जरिए वह न सिर्फ कानून को समझ सकी, बल्कि अब वह अपने बेटे को स्कूल भेजने का संकल्प लेकर गई।

 जागरूकता के साथ समाधान की पहल

कार्यक्रम के अंत में जनसमुदाय से संवाद करते हुए अधिकारियों ने यह भी सुनिश्चित किया कि ऐसे कार्यक्रम अब केवल प्रतीकात्मक न रह जाएं, बल्कि वास्तविक बदलाव की नींव बनें। कई लोगों ने मौके पर ही लेबर कार्ड बनवाने हेतु आवेदन जमा किया।

यह कार्यक्रम बच्चों के भविष्य को बाल श्रम से मुक्त करने की दिशा में एक स्थानीय स्तर पर की गई बड़ी पहल है।

ग्रामीण और श्रमिक वर्ग तक सीधे पहुंच बनाकर सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना और कानूनी जागरूकता फैलाना एक बड़ी सामाजिक उपलब्धि है।

यह सिर्फ एक जागरूकता कार्यक्रम नहीं, बल्कि जिम्मेदारी के भाव से भरी एक सामाजिक क्रांति की शुरुआत है।


जब तक एक भी बच्चा मजदूरी कर रहा है, तब तक हमें बोलना होगा। जागरूक होना होगा। साथ चलना होगा।
क्योंकि हर बच्चा किताब और खिलौनों का हकदार है।

इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रमिक, ग्रामीण नागरिक, महिलाएं और बच्चे उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में बाल अधिकारों की रक्षा हेतु सामूहिक संकल्प भी लिया गया।

यह जागरूकता कार्यक्रम न सिर्फ कानून की जानकारी देने वाला था बल्कि समाज में बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा के प्रति चेतना जगाने की एक सार्थक पहल साबित हुआ।


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