स्वतंत्रता दिवस पर दिव्यांग जनों की उमंग, तिरंगा यात्रा में गूंजे भारत माता के जयकारे
कौशांबी। आज़ादी का पर्व हर भारतीय के लिए गर्व और सम्मान का अवसर होता है, लेकिन जब इस उत्सव में दिव्यांगजन पूरे उत्साह और जोश के साथ शामिल होते हैं, तो उसका नज़ारा और भी प्रेरणादायक बन जाता है। स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2025 के अवसर पर सर्व समाज दिव्यांग जन कल्याण सेवा समिति द्वारा गुरुवार को एक भव्य तिरंगा यात्रा रैली का आयोजन किया गया। इस यात्रा में दिव्यांगजन देशभक्ति के जज़्बे से सराबोर नजर आए और हर किसी के दिल को देश के प्रति प्रेम से भर दिया।
संस्था के अध्यक्ष संदीप साहू और वरिष्ठ समाजसेवी राम लखन पटेल ने संयुक्त रूप से तिरंगा झंडा दिखाकर रैली को रवाना किया। जैसे ही हरी झंडी दिखाई गई, रैली में शामिल दिव्यांगजन पूरे जोश के साथ आगे बढ़ पड़े। उनके हाथों में लहराता तिरंगा और होठों से गूंजते "भारत माता की जय" तथा "वंदे मातरम" के नारे पूरे वातावरण को देशभक्ति की भावना से भर रहे थे।
रैली में शामिल दिव्यांगजन ने बताया कि इस तरह के आयोजन न केवल उनके मनोबल को बढ़ाते हैं, बल्कि उन्हें समाज में अपनी पहचान और सम्मान के साथ जीने की प्रेरणा भी देते हैं। एक दिव्यांग प्रतिभागी ने मुस्कुराते हुए कहा, "हम हर साल इसी तरह से तिरंगा यात्रा में हिस्सा लेते हैं। यह हमें यह एहसास दिलाता है कि हम भी देश की आज़ादी के इस उत्सव के बराबर हकदार और सहभागी हैं।"
रैली में बड़ी संख्या में दिव्यांगजन और उनके समर्थक शामिल हुए। कार्यक्रम में संतोष पटेल, आनंद भूषण, शिवलाल, दुर्गेश कुमार, राम लौटन, बिल्लू पटेल, शंभू प्रजापति, मनोज सिंह, सत्य विलाश समेत कई सक्रिय कार्यकर्ता और समाजसेवी मौजूद रहे। सभी ने तिरंगे के साथ कदम से कदम मिलाकर देशभक्ति का संदेश दिया।
रैली के दौरान देशभक्ति गीतों की धुन और जयकारों की गूंज से पूरा माहौल रोमांचक हो उठा। सड़क किनारे खड़े लोग रैली का स्वागत करते हुए तिरंगे लहराते नजर आए। कई जगहों पर स्थानीय नागरिकों ने फूल बरसाकर रैली का अभिनंदन किया। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, सभी इस नज़ारे को देखकर भावुक हो उठे।
संस्था के अध्यक्ष संदीप साहू ने बताया कि इस तिरंगा यात्रा का उद्देश्य दिव्यांगजनों को समाज में मुख्यधारा से जोड़ना और उनके हौसले को बढ़ाना है। उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि दिव्यांगजन भी देश की आज़ादी के इस पर्व को पूरे सम्मान और गर्व के साथ मनाएं। यह कार्यक्रम उनके आत्मविश्वास को बढ़ाता है और यह संदेश देता है कि देश की सेवा करने के लिए शारीरिक सीमाएं कोई बाधा नहीं हैं।"
वरिष्ठ समाजसेवी राम लखन पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि देश के विकास में हर नागरिक की भागीदारी महत्वपूर्ण है, चाहे वह किसी भी शारीरिक स्थिति में हो। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के आयोजन समाज में एकता, भाईचारे और देशभक्ति की भावना को मजबूत करते हैं।
तिरंगा यात्रा के मार्ग में जगह-जगह लोगों ने प्रतिभागियों के लिए पानी और शीतल पेय की व्यवस्था की। कई सामाजिक संगठनों ने भी रैली में सहयोग दिया। यह यात्रा केवल एक रैली नहीं थी, बल्कि यह संदेश थी कि देशप्रेम की भावना किसी सीमा में बंधी नहीं होती।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ, जिसमें सभी प्रतिभागियों ने एक स्वर में "जन गण मन" गाकर देश के प्रति अपनी निष्ठा और सम्मान प्रकट किया। तिरंगा यात्रा के इस आयोजन ने न केवल दिव्यांगजन के चेहरों पर मुस्कान बिखेरी, बल्कि समाज को भी यह सोचने पर मजबूर किया कि वास्तविक आज़ादी तब है जब हर नागरिक, चाहे वह किसी भी परिस्थिति में हो, गर्व से अपने तिरंगे के साथ खड़ा हो सके।
इस तिरंगा यात्रा ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि देशभक्ति का जज़्बा किसी शारीरिक क्षमता या अक्षमता पर निर्भर नहीं करता। बल्कि, यह दिल में बसने वाली वह ताकत है जो इंसान को हर मुश्किल पार करने का हौसला देती है। स्वतंत्रता दिवस के इस मौके पर दिव्यांगजनों द्वारा निकाली गई यह रैली आने वाले वर्षों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।
रिपोर्ट दीपू दिवाकर
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