कौशांबी के किसानों की अंतरराष्ट्रीय उड़ान, पहुंची दुबई जिले की भिंडी और करेला लेकर, कृषि में नया आयाम
कौशांबी जनपद। जिले की उपज अब सिर्फ स्थानीय मंडियों तक सीमित नहीं रही, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी पहचान बनाने लगी है। जिलाधिकारी मधुसूदन हुल्गी के कुशल मार्गदर्शन और किसानों की मेहनत का नतीजा है कि किसान उत्पादक संगठन (FPO) और औद्यानिक विपणन सहकारी समिति, चायल के किसानों ने 7 क्विंटल भिंडी और 4 क्विंटल करेला का सफल निर्यात दुबई में किया है। यह उपलब्धि कौशांबी की कृषि क्षमता, गुणवत्ता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भागीदारी का स्पष्ट प्रमाण है।
तकनीकी खेती और जागरूकता का परिणाम
जिला प्रशासन लंबे समय से किसानों को तकनीकी आधार पर खेती करने और व्यावसायिक फसलों की ओर आकर्षित करने के लिए काम कर रहा है। इसके तहत लगातार किसान गोष्ठियों का आयोजन, प्रशिक्षण कार्यक्रम, फसल प्रबंधन और बाजार की जरूरतों पर जानकारी दी जा रही है। इन प्रयासों का ही नतीजा है कि जिले के किसान अब अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उत्पादन करने में सक्षम हो गए हैं।
भिंडी और करेला की यह खेप अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों पर खरी उतरी, जिससे दुबई जैसे बड़े बाजार में इसकी मांग बनी। इससे न सिर्फ किसानों का मनोबल बढ़ा है बल्कि कौशांबी की पहचान एक गुणवत्तापूर्ण कृषि उत्पादक जिले के रूप में मजबूत हुई है।
सफलता के पीछे टीमवर्क
इस ऐतिहासिक पहल के पीछे जिला उद्यान अधिकारी अवधेश मिश्रा और निर्यात एजेंसी शिवास्तक ट्रेडर्स के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अंकित सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने किसानों को निर्यात प्रक्रिया के लिए आवश्यक पैकेजिंग, ग्रेडिंग और गुणवत्ता जांच की पूरी जानकारी दी। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सब्जियों की छंटाई और पैकिंग कराई गई, ताकि विदेशी बाजार में किसी तरह की कमी न रह जाए।
जिलाधिकारी का प्रोत्साहन और बधाई
जिलाधिकारी मधुसूदन हुल्गी ने इस उपलब्धि पर किसानों को बधाई देते हुए कहा
"यह कौशांबी के लिए गर्व का क्षण है। किसानों की मेहनत और प्रशासनिक सहयोग से हम जिले को कृषि निर्यात के क्षेत्र में अग्रणी बना सकते हैं। अब लक्ष्य है कि अधिक से अधिक किसानों को एफपीओ से जोड़कर अन्य सब्जियों और फलों का भी निर्यात किया जाए।"
उन्होंने जिला उद्यान अधिकारी को निर्देश दिए कि अन्य किसानों को भी तकनीकी खेती और निर्यात प्रक्रिया से जोड़ा जाए। इससे न केवल किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि जिले को वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिलेगी।
भविष्य की योजना
जिला उद्यान अधिकारी अवधेश मिश्रा ने बताया कि जिलाधिकारी के मार्गदर्शन में जिले में अन्य सब्जियों और फलों जैसे तोरई, शिमला मिर्च, टमाटर, अमरूद आदि के निर्यात को बढ़ावा देने की योजना है। इसके लिए किसानों को उन्नत बीज, आधुनिक प्रशिक्षण, प्रसंस्करण और कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
एफपीओ और क्लस्टर खेती के माध्यम से छोटे और मध्यम किसानों को भी इस प्रक्रिया में जोड़ा जाएगा, ताकि वे सामूहिक रूप से अधिक मात्रा में निर्यात योग्य उत्पादन कर सकें।
संभावित लाभ
1. किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी – अंतरराष्ट्रीय बाजार में सब्जियों के बेहतर दाम मिलेंगे।
2. रोजगार के अवसर – पैकेजिंग, छंटाई और परिवहन से स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा।
3. कृषि छवि में सुधार – कौशांबी की पहचान एक उच्च गुणवत्ता वाले कृषि उत्पादक जिले के रूप में मजबूत होगी।
4. प्रेरणा का स्रोत – अन्य किसान भी आधुनिक खेती और निर्यात के लिए प्रेरित होंगे।
5. विविध फसलों का निर्यात – आने वाले समय में जिले की और फसलें विदेशी बाजार में पहुंचेंगी।
अंतरराष्ट्रीय पहचान की ओर कदम
कौशांबी में उगाई गई भिंडी और करेला का दुबई तक पहुंचना केवल एक वाणिज्यिक सफलता नहीं, बल्कि जिले की कृषि क्षमता और मेहनती किसानों के आत्मविश्वास का प्रमाण है। यह उपलब्धि इस बात का संकेत है कि अगर सही मार्गदर्शन, तकनीकी सहयोग और बाजार की जानकारी मिले तो जिले के किसान विश्व स्तर पर अपनी अलग पहचान बना सकते हैं।
कौशांबी का यह कदम आने वाले समय में जिले के कृषि परिदृश्य को बदलने वाला साबित हो सकता है, जिससे न सिर्फ किसानों की जिंदगी बदलेगी बल्कि पूरे जिले का आर्थिक और सामाजिक विकास तेज़ी से होगा।
ब्यूरो- राकेश दिवाकर (विश्व सहारा हिंदी दैनिक) व bharat tv gramin 9648518828
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