IGRS शिकायतों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं, डीजीपी का अल्टीमेटम, दर 15 दिन में मजबूत हों साइबर सेल, थानों से हटें अवांछित लोग
लखनऊ उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्ण ने शुक्रवार को प्रदेश भर के पुलिस कप्तानों और पुलिस कमिश्नरों को साफ चेतावनी दी कि इंटीग्रेटेड ग्रीवांस रीड्रेसल सिस्टम (IGRS) की शिकायतों के निस्तारण में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि शिकायतों का समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण ही पुलिस की कार्यकुशलता का पैमाना होगा।
डीजीपी ने यह निर्देश जनसुनवाई, साइबर अपराध और पुलिस प्रशिक्षण जैसे अहम मुद्दों पर आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान दिए। बैठक में प्रदेशभर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, जिलों के कप्तान और पुलिस कमिश्नर शामिल हुए।
बैठक की शुरुआत में डीजीपी राजीव कृष्ण ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को नसीहत दी कि उन्हें केवल परंपरागत पुलिसिंग पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि कानून, फोरेंसिक साइंस और आधुनिक तकनीक का ज्ञान भी होना जरूरी है।
उन्होंने कहा, "आज अपराध के तरीके बदल चुके हैं। केवल अनुभव काफी नहीं, बल्कि तकनीकी समझ और साइंटिफिक अप्रोच ही हमें आगे रख सकती है।"
थानों में सुधार, नागरिकों को मिले सम्मान
डीजीपी ने प्रदेश के थानों की कार्यसंस्कृति पर विशेष जोर देते हुए कहा कि हर थाने को ऐसा बनाया जाए कि वहां कोई भी नागरिक बिना संकोच पहुंच सके।
उन्होंने आदेश दिया कि थानों में अवांछित तत्वों का प्रवेश पूरी तरह से रोका जाए।
डीजीपी ने थानेदारों के कामकाज का मूल्यांकन जनसुनवाई और IGRS शिकायतों के निस्तारण के आधार पर करने के निर्देश दिए।
उन्होंने जिलावार शिकायतों के तुलनात्मक आंकड़े भी प्रस्तुत किए और कुछ जिलों के एसपी से सीधे सवाल-जवाब किए।
साइबर अपराध बड़ी चुनौती, 15 दिन में हो बदलाव
बैठक में साइबर अपराध पर चर्चा करते हुए डीजीपी ने इसे आधुनिक समय की सबसे बड़ी चुनौती बताया।
उन्होंने कहा कि हर थाने में पहले से गठित साइबर सेल को 15 दिन के भीतर प्रशिक्षित और दक्ष कर्मियों से लैस कर दिया जाए।
इसके साथ ही सभी थानों का निरीक्षण कर साइबर सेल की वास्तविक स्थिति का आकलन किया जाए और जो भी कमी हो, उसे तुरंत दूर किया जाए।
ऑनलाइन ट्रेनिंग और पोर्टल का अधिकतम उपयोग
डीजीपी ने निर्देश दिए कि भारतीय साइबर क्राइम प्रबंधन सेंटर के प्रशिक्षण पोर्टल पर अधिक से अधिक पुलिस अधिकारियों और कर्मियों का पंजीकरण कराया जाए।
उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण केवल औपचारिकता न हो, बल्कि वास्तविक कार्य में इसका असर 15 दिन में दिखना चाहिए।
साथ ही उन्होंने नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल के अधिकतम उपयोग पर जोर दिया और कहा कि यह पीड़ितों के लिए सीधा और प्रभावी प्लेटफॉर्म है, जिसका पुलिस को पूरी तरह इस्तेमाल करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में जल्द ही स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी की जाएगी, जिससे काम में एकरूपता और गति आ सके।
जनसुनवाई में संवेदनशीलता जरूरी
डीजीपी राजीव कृष्ण ने जनसुनवाई को पुलिस और जनता के बीच भरोसे का अहम जरिया बताते हुए कहा कि हर शिकायत को गंभीरता से सुना जाए और यथाशीघ्र समाधान दिया जाए।
उन्होंने कहा कि जनसुनवाई केवल कागजी कार्रवाई न हो, बल्कि पीड़ित को यह महसूस होना चाहिए कि उसकी समस्या का ईमानदारी से समाधान हुआ है।
15 दिन में परिणाम, वरना होगी कार्रवाई
बैठक के अंत में डीजीपी ने सभी कप्तानों और पुलिस कमिश्नरों को स्पष्ट निर्देश दिया कि 15 दिन में साइबर सेल की मजबूती, IGRS शिकायतों के निस्तारण और थानों में सुधार के परिणाम दिखाई देने चाहिए।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि निर्देशों का पालन नहीं हुआ तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
डीजीपी के इस अल्टीमेटम के बाद प्रदेश भर में पुलिस विभाग की गतिविधियां तेज हो गई हैं।
थानों से अवांछित लोगों को हटाने, साइबर सेल को मजबूत करने और IGRS शिकायतों के समयबद्ध निस्तारण के लिए अगले 15 दिन बेहद अहम साबित होंगे।
पुलिस महकमे की नजर अब इस पर है कि क्या जिलों में कामकाज में वास्तविक बदलाव दिखेगा या यह भी केवल एक बैठक तक सीमित रह जाएगा।
चीफ एडिटर-राकेश दिवाकर
9454139866
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