शहद से समृद्धि की ओर, प्रयागराज में शुरू हो रहा 90 दिन का मुफ्त मधुमक्खी पालन कोर्स
प्रयागराज। किसानों और युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने तथा कृषि को अधिक लाभकारी स्वरूप देने के लिए सरकार लगातार अनुपूरक उद्यमों को बढ़ावा दे रही है। इन्हीं में से एक मधुमक्खी पालन है, जो न केवल शहद उत्पादन का साधन है बल्कि फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाता है। मधुमक्खियों के जरिए होने वाला पर-परागण सरसों, तिल, सूरजमुखी, फल एवं सब्जियों की पैदावार को 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ा देता है। यही कारण है कि अब सरकार किसानों और ग्रामीण युवाओं को वैज्ञानिक पद्धति से प्रशिक्षित करने के लिए बड़े स्तर पर कार्यक्रम चला रही है।
इसी कड़ी में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा प्रयागराज के राजकीय मौन पालन प्रशिक्षण केन्द्र, कम्पनीबाग में मधुमक्खी पालन का दीर्घकालीन प्रशिक्षण सत्र शुरू किया जा रहा है। यह प्रशिक्षण पूरी तरह नि:शुल्क होगा और इसकी अवधि 90 दिन यानी तीन माह तय की गई है। प्रशिक्षण कार्यक्रम 16 सितंबर 2025 से आरंभ होकर 15 दिसंबर 2025 तक चलेगा। इसमें भाग लेने वाले प्रतिभागियों को रहने और खाने की व्यवस्था स्वयं करनी होगी, जबकि प्रशिक्षण से जुड़ी सभी तकनीकी जानकारियां विभाग की ओर से मुफ्त उपलब्ध कराई जाएंगी।
इस प्रशिक्षण में पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल हो सकते हैं। इसके लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता कक्षा-08 पास होना आवश्यक है। इच्छुक अभ्यर्थी अधीक्षक, राजकीय उद्यान प्रयागराज के कार्यालय से संपर्क कर निर्धारित प्रारूप पर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर 2025 निर्धारित की गई है। इसके साथ ही दो सम्भ्रान्त व्यक्तियों या किसी राजपत्रित अधिकारी द्वारा जारी चरित्र प्रमाण पत्र संलग्न करना अनिवार्य होगा।
प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को मधुमक्खियों की पहचान, छत्ते की संरचना, वैज्ञानिक तरीके से पालन-पोषण, शहद निष्कर्षण की आधुनिक तकनीक, मधुमक्खियों को रोगों से बचाने की विधियां और बाजार तक उत्पाद पहुंचाने के तरीके जैसी जानकारियां दी जाएंगी। उद्यान विभाग का कहना है कि यह कार्यक्रम न केवल किसानों बल्कि बेरोजगार युवाओं और महिलाओं के लिए भी रोजगार का नया अवसर खोलने वाला है। विशेष बात यह है कि मधुमक्खी पालन शुरू करने के लिए बड़े भूखंड की आवश्यकता नहीं होती। इसे छोटे स्तर पर भी शुरू किया जा सकता है और धीरे-धीरे बड़े उद्यम के रूप में विकसित किया जा सकता है।
भारत में शहद की मांग लगातार बढ़ रही है। देश में हर साल लगभग 1.25 लाख टन शहद का उत्पादन होता है, जिसमें से एक बड़ी मात्रा का निर्यात भी किया जाता है। इससे विदेशी मुद्रा अर्जित करने के साथ-साथ किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि किसान फसल उत्पादन के साथ मधुमक्खी पालन को जोड़ते हैं तो उन्हें दोगुना लाभ मिलता है। एक ओर शहद और मोम से आय होती है, दूसरी ओर पर-परागण से फसलों की पैदावार और गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी होती है।
अधीक्षक, राजकीय उद्यान प्रयागराज का कहना है कि यह नि:शुल्क प्रशिक्षण आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ठोस कदम है। ग्रामीण स्तर पर यदि अधिक से अधिक लोग मधुमक्खी पालन की ओर बढ़ते हैं तो इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और शहद उद्योग को भी नई दिशा मिलेगी। उन्होंने इच्छुक अभ्यर्थियों से अपील की है कि वे समय से आवेदन कर इस अवसर का लाभ उठाएं।
चीफ-एडिटर-राकेश दिवाकर (bharat tv gramin)
9454139866,9648518828
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