शोषण मुक्त बाल परिवेश की ओर कदम, कानूनी विशेषज्ञों ने सराय अकिल की डी.पी. ममोरियल के बच्चों को बताए अधिकार

शोषण मुक्त बाल परिवेश की ओर कदम, कानूनी विशेषज्ञों ने सराय अकिल की डी.पी. ममोरियल के बच्चों को बताए अधिकार
कौशांबी । बच्चों को शोषण से मुक्त सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराना समाज और शासन की साझा जिम्मेदारी है। इसी उद्देश्य से जनपद न्यायाधीश जे.पी. यादव के निर्देशन एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के तत्वावधान में डी.पी. मेमोरियल पब्लिक स्कूल, करन चौराहा सराय अकिल, तहसील चायल में “शोषण के विरुद्ध बच्चों के अधिकार” विषय पर साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और विद्यालय प्रबंधन ने भाग लिया।

शिविर में मुख्य वक्ता के रूप में अपर जनपद न्यायाधीश/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पूर्णिमा प्रांजल ने बच्चों को भारतीय संविधान में निहित मौलिक अधिकारों तथा बाल सुरक्षा संबंधी प्रावधानों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार का बाल शोषण—चाहे शारीरिक हो, मानसिक हो या यौन—बच्चों के संपूर्ण विकास को प्रभावित करता है और उनके मनोबल, शिक्षा तथा व्यक्तित्व पर गहरा दुष्प्रभाव डालता है। उन्होंने पॉक्सो एक्ट, किशोर न्याय अधिनियम तथा अन्य संरक्षण कानूनों का सरल भाषा में परिचय कराते हुए बच्चों को समझाया कि कानून उन्हें हर प्रकार के शोषण से बचाने के लिए कठोर सुरक्षा प्रदान करता है।

पूर्णिमा प्रांजल ने बच्चों को प्रेरित किया कि यदि वे किसी भी तरह की हिंसा, उत्पीड़न या गलत व्यवहार का सामना करें, तो तुरंत इसकी सूचना अपने अभिभावकों, शिक्षकों या विश्वसनीय बड़ों को दें। उन्होंने कहा कि चुप रहना शोषण को बढ़ावा देता है, जबकि आवाज उठाना सुरक्षा की दिशा में पहला कदम है।

कार्यक्रम में तहसीलदार चायल पुष्पेंद्र गौतम ने संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौता, राष्ट्रीय बाल नीति और किशोर न्याय अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 18 वर्ष से कम आयु का प्रत्येक बच्चा कानून की दृष्टि में विशेष संरक्षण का अधिकारी है। उन्होंने कहा कि बच्चों को मारना, डराना, मजाक उड़ाना, बाल श्रम कराना, धमकी देना या किसी भी प्रकार से उनका शोषण करना गंभीर अपराध है, जिसके लिए कठोर दंड का प्रावधान है। उन्होंने बच्चों को यह भी बताया कि किसी भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना उनका अधिकार है, और कानून उनके साथ खड़ा है।

मिशन शक्ति केंद्र से उप निरीक्षक यशवंती ने साइबर अपराध और सोशल मीडिया से जुड़े खतरों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि इंटरनेट का गलत उपयोग बच्चों को कई जोखिमों की ओर धकेल सकता है। इसलिए अनजान लोगों से चैट न करना, अपनी निजी जानकारी साझा न करना और सतर्कता के साथ सोशल मीडिया का उपयोग करना बेहद आवश्यक है। उन्होंने बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षा के व्यावहारिक तरीके भी बताए।

शिविर में विद्यालय के प्रबंधक डॉ. भीष्म सिंह, प्रधानाचार्य नरेन्द्र कुमार पांडेय, मैनेजिंग डायरेक्टर अजीत सिंह, मंच संचालक नीलम सिंह, विद्वान अधिवक्ता अतुल योगी और पीएलवी अमरदीप भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम में उपस्थित बच्चों ने कानून, अधिकार और शोषण से बचाव के तरीकों के बारे में उत्साहपूर्वक प्रश्न पूछे। जागरूकता शिविर का उद्देश्य बच्चों को आत्मविश्वासी बनाना, उन्हें उनके अधिकारों से परिचित कराना और शोषण मुक्त बाल परिवेश निर्माण की दिशा में समाज को जागरूक करना था, जिसे कार्यक्रम ने सफलतापूर्वक पूरा किया।
रिपोर्ट- राकेश दिवाकर/दीपू दिवाकर 
9648518828

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