पान की खेती को मिलेगी नई पहचान, उद्यान विभाग देगा अनुदान और तकनीकी मार्गदर्शन

पान की खेती को मिलेगी नई पहचान, उद्यान विभाग देगा अनुदान और तकनीकी मार्गदर्शन

प्रयागराज। किसानों की आमदनी बढ़ाने और पारंपरिक पान की खेती को नई दिशा देने के उद्देश्य से शनिवार को कृषि विश्वविद्यालय नैनी प्रयागराज में पान प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत एक दिवसीय सेमिनार आयोजित किया गया। सेमिनार का शुभारंभ डॉ. प्रवीन चरन, निदेशक प्रसार निदेशालय, कृषि विश्वविद्यालय नैनी प्रयागराज ने दीप प्रज्वलन कर किया। कार्यक्रम में पान उत्पादक किसानों को पान की वैज्ञानिक खेती, रोग नियंत्रण और आधुनिक तकनीकों की विस्तृत जानकारी दी गई।
कार्यक्रम के तकनीकी सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. वीरेंद्र सिंह, मुख्य उद्यान विशेषज्ञ, औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र खुसरोबाग प्रयागराज ने बताया कि उद्यान विभाग द्वारा पान उत्पादकों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि जो किसान 1500 वर्गमीटर क्षेत्र में पान बरेजा का निर्माण करते हैं, उन्हें ₹75,000 का अनुदान दिया जाता है। यह योजना किसानों को पान की उन्नत खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे अपने जिले के जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क कर योजना का लाभ अवश्य लें।
डॉ. सिंह ने कहा कि उद्यान विभाग का उद्देश्य पान की पारंपरिक खेती को वैज्ञानिक तरीकों से जोड़कर उसकी गुणवत्ता और बाजार मूल्य को बढ़ाना है। उन्होंने किसानों को बताया कि आधुनिक तकनीकों के उपयोग से उत्पादन लागत घटती है और आय में वृद्धि होती है।

डॉ. राम सेवक चौरसिया, पूर्व प्रधान वैज्ञानिक (सीएसआईआर-एनबीआरआई, भारत सरकार) ने पान की उपयोगिता और तंबाकू से होने वाले नुकसान पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि पान केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद है, जिसे वैज्ञानिक पद्धति से उगाने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाई जा सकती है। उन्होंने पान की फसल में लगने वाले रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के उपाय भी बताए।

वहीं डॉ. विजय बहादुर, विभागाध्यक्ष, उद्यान विज्ञान विभाग, नैनी प्रयागराज ने किसानों को बताया कि पान बरेजा में कुंदरू, परवल जैसी सब्जियों की मिश्रित खेती से अतिरिक्त लाभ अर्जित किया जा सकता है। उन्होंने संरक्षित खेती (Protected Cultivation) के फायदे बताते हुए कहा कि इससे पान की गुणवत्ता बेहतर और उत्पादन अधिक होगा।

कार्यक्रम में डॉ. शैलेंद्र सिंह, डॉ. अनुराग तायडे, डॉ. संजय मिश्रा, डॉ. सर्वेंद्र कुमार, डॉ. हेमलता पंत, डॉ. एम.पी. सिंह सहित कई कृषि वैज्ञानिक उपस्थित रहे।
सेमिनार में प्रयागराज, प्रतापगढ़ और फतेहपुर जनपदों के सैकड़ों पान उत्पादक किसानों ने भाग लिया और वैज्ञानिकों से नई तकनीकों की जानकारी प्राप्त की।

किसानों ने इस पहल को सराहते हुए कहा कि उद्यान विभाग द्वारा दी जा रही आर्थिक सहायता और तकनीकी मार्गदर्शन से पान की खेती को नई पहचान मिलेगी तथा यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगी।
प्रयागराज ब्यूरो-अभिषेक चौधरी के साथ राज की रिपोर्ट 9125474287

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