आरएसएस के वरिष्ठ नेता भैया जी जोशी ने कहा अहिंसा की रक्षा के लिए,कभी-कभी हिंसा जरूरी"
अहमदाबाद- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेता भैया जी जोशी ने अहमदाबाद में एक हिंदू आध्यात्मिक सेवा मेला में उद्घाटन के दौरान दिये बयान ने राजनीति और समाज में तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा कर दी हैं। उन्होंने कहा, "कभी-कभी समाज को बचाने के लिए हिंसा जरूरी हो जाती है।" इस बयान को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है। भैया जी जोशी ने यह टिप्पणी एक सांस्कृतिक सम्मेलन में की, जहां वे समाज में बढ़ती चुनौतियों और राष्ट्रीय एकता पर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा,
"जब समाज के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगे और अहिंसा से समाधान संभव न हो, तो हिंसा अंतिम उपाय के रूप में जरूरी हो सकती है।"
उनके अनुसार, यह बयान आत्मरक्षा और समाज के हितों की सुरक्षा के संदर्भ में दिया गया।
भैया जी जोशी के इस बयान ने विपक्ष को RSS और उसकी विचारधारा पर निशाना साधने का मौका दे दिया।
कांग्रेस प्रवक्ता ने इसे "अलोकतांत्रिक और खतरनाक विचारधारा" करार दिया। उन्होंने कहा, "RSS हिंसा को वैध ठहराने का प्रयास कर रहा है, जो भारत की लोकतांत्रिक और अहिंसावादी मूल्यों के खिलाफ है।"
तो वहीं तृणमूल कांग्रेस ने इसे समाज में हिंसा को बढ़ावा देने वाला बयान बतया।
RSS के समर्थकों और नेताओं ने जोशी के बयान का बचाव किया। उनका कहना है कि यह बयान एक विशेष संदर्भ में दिया गया था और इसे गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है।
वहीं संघ के एक प्रवक्ता ने कहा, "भैया जी जोशी का बयान आत्मरक्षा और समाज की सुरक्षा के सिद्धांत पर आधारित है। यह उकसावे का नहीं, बल्कि एक चेतावनी का संदेश है।"
एक वर्ग इसे उचित ठहराते हुए कह रहा है कि समाज को बचाने के लिए कभी-कभी कठोर कदम उठाने पड़ते हैं।
आलोचना: वहीं, कई लोगों ने इसे "संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों के खिलाफ" बयान इस बयान ने कानूनी और नैतिक बहस को जन्म दिया है। विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं कि क्या हिंसा को किसी भी रूप में वैध ठहराया जा सकता है।
एक संवैधानिक विशेषज्ञ ने कहा, "हिंसा का कोई भी समर्थन भारतीय संविधान और कानून के खिलाफ है। ऐसे बयान समाज में अस्थिरता फैला सकते हैं।"
आरएसएस ने अभी तक इस पर कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, संघ के करीबी सूत्रों का कहना है कि बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है।
भैया जी जोशी के बयान ने भारतीय समाज के भीतर छिपे वैचारिक मतभेदों को सामने ला दिया है। अहिंसा के सिद्धांत पर आधारित गांधीवादी दृष्टिकोण और आत्मरक्षा के लिए कठोर कदम उठाने की वकालत करने वाले विचारों के बीच यह बयान नई बहस छेड़ता है।
भैया जी जोशी के इस बयान ने न केवल राजनीतिक, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी एक गहरी चर्चा को जन्म दिया है। आने वाले दिनों में इस पर RSS और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।
एडिटर इन चीफ
राकेश दिवाकर
9648518828
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