हुलासखेड़ा की धरती से निकली ऐतिहासिक धरोहरें, खुदाई में मिले दुर्लभ सिक्के और कलाकृतियां
राजधानी लखनऊ के समीप मोहनलालगंज क्षेत्र में स्थित हुलासखेड़ा गांव एक बार फिर चर्चा में है। यहां प्राचीन टीले की खुदाई में मिली ऐतिहासिक वस्तुओं ने इस स्थान को पुरातत्व के मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थल के रूप में स्थापित कर दिया है।
हुलासखेड़ा का यह प्राचीन टीला, जो कलेश्वरी देवी मंदिर के निकट स्थित है, लगभग 84 एकड़ में फैला है और चारों ओर झील से घिरा हुआ है। वर्ष 1979 में यहां प्रारंभ किए गए पुरातात्विक उत्खनन से प्राप्त प्रमाण बताते हैं कि यह क्षेत्र लगभग 3000 वर्ष पूर्व सभ्य और विकसित था। खुदाई में झोपड़ीनुमा घरों, अस्थि और लोहे से बने उपकरणों, चमकदार बर्तनों, चूड़ियों, सिक्कों और नालियों जैसी उन्नत जल निकासी व्यवस्थाओं के प्रमाण मिले हैं।
यहां से सोने-चांदी के सिक्के, हाथी दांत के उपकरण और ‘कार्तिकेय’ की दुर्लभ कलाकृति भी प्राप्त हुई है, जिसे ईसा पूर्व के प्रारंभिक काल का माना जा रहा है। इन वस्तुओं को राज्य संग्रहालय में संरक्षित किया गया है।
प्रदेश के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री जयवीर सिंह ने बताया कि यह कलाकृतियां हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण और संवर्धन के लिए निरंतर प्रयासरत है, ताकि भावी पीढ़ियां भी अपने गौरवशाली अतीत से जुड़ सकें।
हुलासखेड़ा की यह खुदाई न सिर्फ इतिहास प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह साबित करती है कि उत्तर प्रदेश की भूमि सभ्यता और संस्कृति की कितनी गहरी जड़ें रखती है।
एडिटर इन चीफ/राकेश दिवाकर
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