कोखराज मुठभेड़ की जांच करेगा उप जिला मजिस्ट्रेट चायल, 15 दिन में आमजन दर्ज करा सकेंगे अपना पक्ष"

कोखराज मुठभेड़ की जांच करेगा उप जिला मजिस्ट्रेट चायल, 15 दिन में आमजन दर्ज करा सकेंगे अपना पक्ष"
कौशाम्बी जिले में 17 मई 2025 को हुई एक पुलिस मुठभेड़ में मारे गए शातिर अभियुक्त संतोष उर्फ राजू की मौत के मामले में अब न्यायिक जांच शुरू की जा रही है। इस जांच की जिम्मेदारी उप जिला मजिस्ट्रेट (न्यायिक), चायल को सौंपी गई है। जांच भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNS) 2023 की धारा 194 के तहत की जा रही है।
जिलाधिकारी कौशाम्बी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि मुठभेड़ में मारे गए अभियुक्त की मौत की निष्पक्षता और पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए न्यायिक जांच आवश्यक है। इस आदेश के तहत उप जिलाधिकारी (न्यायिक) चायल ने सभी नागरिकों से अपील की है कि यदि कोई व्यक्ति इस घटना के संबंध में कोई जानकारी, गवाही या साक्ष्य देना चाहता है, तो वह 15 कार्यदिवसों के भीतर उनके कार्यालय में पहुंचकर अपना बयान दर्ज करा सकता है।

क्या है पूरा मामला?
17 मई 2025 को थाना कोखराज क्षेत्र में पुलिस ने अभियुक्त संतोष उर्फ राजू पुत्र जयप्रकाश राजभर, निवासी पोरईकला, थाना खेतासराय, जनपद गाजीपुर को गिरफ्तार किया था। पुलिस के अनुसार, संतोष एक शातिर अपराधी था, और उसके खिलाफ कई गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज थे।

गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने जब उससे पूछताछ की तो उसने कबूल किया कि उसने घटना में प्रयुक्त पिस्टल ग्राम ककोढ़ा की झाड़ियों में छिपाकर रखी है। इसके बाद पुलिस टीम उसे मौके पर लेकर पहुंची ताकि पिस्टल बरामद की जा सके।

पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, बरामदगी के दौरान अचानक संतोष ने झाड़ियों में छिपाकर रखी पिस्टल निकालकर पुलिस टीम पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इस हमले में प्रभारी निरीक्षक और एक उप निरीक्षक की बुलेटप्रूफ जैकेट पर गोली लगी। जानलेवा हमले के जवाब में पुलिस ने आत्मरक्षार्थ कार्रवाई की, जिसमें अभियुक्त संतोष उर्फ राजू घायल हो गया।

उसे तत्काल जिला चिकित्सालय कौशाम्बी ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

पारदर्शिता के लिए न्यायिक जांच

इस पूरे घटनाक्रम को लेकर सवाल उठे, और पुलिस मुठभेड़ों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के मद्देनजर जिलाधिकारी कौशाम्बी द्वारा न्यायिक जांच के आदेश जारी किए गए। अब उप जिला मजिस्ट्रेट (न्यायिक), चायल इस मुठभेड़ की विस्तृत जांच करेंगे।

उप जिला मजिस्ट्रेट ने स्पष्ट किया है कि कोई भी नागरिक जो इस घटना का प्रत्यक्षदर्शी है या जिसके पास इससे जुड़ी कोई महत्वपूर्ण जानकारी है, वह 15 कार्यदिवसों के भीतर कार्यदिवसों में किसी भी समय उनके न्यायालय (चायल) में उपस्थित होकर अपना बयान दर्ज करा सकता है।

यह पहल इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इससे न केवल मुठभेड़ की सत्यता और प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित होगी, बल्कि भविष्य में पुलिस और नागरिकों के बीच विश्वास भी मजबूत होगा।

क्या कहते हैं कानूनी जानकार?

कानून विशेषज्ञों के अनुसार, BNS 2023 की धारा 194 स्पष्ट रूप से कहती है कि किसी भी मुठभेड़ में यदि अभियुक्त की मौत होती है, तो उसकी न्यायिक जांच अनिवार्य होती है। इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि पुलिस की कार्यवाही कानूनी दायरे में थी या नहीं।

इस मामले में न्यायिक जांच का आदेश न केवल कानूनी प्रक्रिया का पालन है, बल्कि लोकतंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना को भी सुदृढ़ करता है। अब देखना होगा कि इस मुठभेड़ की जांच किस दिशा में जाती है और क्या नए तथ्य सामने आते हैं।

(अगर आपके पास इस घटना से जुड़ी कोई जानकारी या गवाही है, तो उप जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय, चायल में जाकर बयान दर्ज कराएं। यह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है और आपका सहयोग जांच में मददगार होगा।)

ब्यूरो- राकेश दिवाकर (विश्व सहारा हिंदी दैनिक) व 
 editor bharat tv gramin 9648518828

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