मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में पहुंचे ढाई फुट के दूल्हे और तीन फुट की दुल्हन बने आकर्षण का केंद्र, 298 जोड़े बंधे विवाह बंधन में

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में पहुंचे ढाई फुट के दूल्हे और तीन फुट की दुल्हन बने आकर्षण का केंद्र, 298 जोड़े बंधे विवाह बंधन में
कौशाम्बी जनपद के भरवारी स्थित भवन्स मेहता विद्याश्रम में, जहां मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के अंतर्गत आयोजित भव्य विवाह समारोह में 298 नवयुगल ने एक-दूसरे का हाथ थामकर जीवन की नई शुरुआत की।
इस अवसर पर समारोह स्थल किसी शाही शादी की तरह सजा हुआ था। चारों ओर फूलों की साज-सज्जा, मंच पर बैठे पंडितों द्वारा मंत्रोच्चार, ढोल-नगाड़ों और डीजे की मधुर धुनों के बीच जब जोड़े मंडप में फेरे ले रहे थे, तब पूरा माहौल आनंद, उल्लास और सांस्कृतिक गौरव से भरा हुआ था।

ढाई फुट का दूल्हा और तीन फुट की दुल्हन, प्रेम की मिसाल बने
इस सामूहिक विवाह समारोह में एक जोड़ा ऐसा भी था, जिसने न सिर्फ लोगों का ध्यान खींचा, बल्कि उनके दिलों को भी छू लिया। ढाई फुट के दूल्हे और तीन फुट की दुल्हन ने जैसे ही विवाह मंडप में प्रवेश किया, पूरा पंडाल तालियों और कैमरों की चमक से गूंज उठा। यह जोड़ा समारोह का केंद्र बिंदु बन गया। लोगों ने इस जोड़े को सराहा और इनके साहस और प्रेम की सराहना की।
इन दोनों ने यह साबित कर दिया कि असली सुंदरता आकार या ऊंचाई में नहीं होती, बल्कि आत्मा और भावना में होती है। उनका आत्मविश्वास, खुशी और एक-दूसरे के प्रति समर्पण ने यह संदेश दिया कि प्यार किसी मापदंड का मोहताज नहीं होता।

दिव्यांग जोड़े की उपस्थिति ने बढ़ाया आयोजन का मान
इस आयोजन में एक और प्रेरणादायक क्षण तब आया जब एक दिव्यांग जोड़ा भी विवाह सूत्र में बंधा। अपने विशेष संघर्षों और चुनौतियों के बावजूद, दोनों ने जीवन को साथ मिलकर जीने की शपथ ली। उपस्थित जनसमूह ने उनके साहस को नमन किया और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। यह दृश्य न सिर्फ भावुक कर देने वाला था, बल्कि समाज को समावेशिता का उदाहरण भी दे गया।

सरकारी योजना बनी सहारा, सपनों की हुई उड़ान

समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना वास्तव में उन परिवारों के लिए वरदान बनकर सामने आई है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और अपनी बेटियों के विवाह में असमर्थता महसूस करते हैं।

सिराथू और चायल विधानसभा क्षेत्रों से आए सैकड़ों परिवारों के लिए यह दिन किसी उत्सव से कम नहीं था।

जिला समाज कल्याण अधिकारी दिलीप कुमार ने बताया कि यह आयोजन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में संचालित प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है। योजना के तहत प्रत्येक जोड़े को ₹51000 की आर्थिक सहायता सरकार द्वारा की जाती है, जो 35000 लड़की के खाते में 10 हजार का सामान व 6 हजार अन्य खर्च ताकि उन्हें वैवाहिक जीवन की शुरुआत करने में कोई कठिनाई न हो।

उन्होंने बताया कि पात्रता के आधार पर चयनित जोड़ों के लिए सभी व्यवस्थाएं विभाग द्वारा सुनिश्चित की गईं, जिसमें पंजीकरण, स्वास्थ्य परीक्षण, भोजन और विवाह रस्मों की व्यवस्था शामिल रही।

गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति से बढ़ी शोभा

कार्यक्रम में जनपद के कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे, जिन्होंने नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद और शुभकामनाएं दीं। इनमें जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती कल्पना सोनकर, भाजपा जिलाध्यक्ष धर्मराज मौर्य, नगर पालिका परिषद भरवारी की अध्यक्ष श्रीमती कविता पासी, और मुख्य विकास अधिकारी अजीत कुमार श्रीवास्तव प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

वहीं अधिकारियों ने अपने संबोधन में कहा कि इस योजना ने समाज में व्याप्त दहेज प्रथा, भव्य खर्चीले विवाह समारोहों और सामाजिक भेदभाव जैसी समस्याओं को चुनौती दी है। उन्होंने इसे सरकार की एक ऐसी पहल बताया जो न सिर्फ आर्थिक रूप से मददगार है, बल्कि सामाजिक समानता और सशक्तिकरण की दिशा में भी मील का पत्थर साबित हो रही है।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने बढ़ाया उत्सव का आनंद

समारोह के दौरान पारंपरिक प्रस्तुतियों ने माहौल को पूरी तरह से उत्सवमय बना दिया। पारंपरिक वेशभूषा में सजे दूल्हा-दुल्हन, फेरे लेते समय गूंजते वेद मंत्र और उनके परिजनों के चेहरों पर झलकती संतुष्टि — ये सभी दृश्य आयोजन को यादगार बना दिया।

एक ओर जहां आधुनिक युग में विवाह समारोह व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा और दिखावे का माध्यम बनते जा रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना ने सादगी, समानता और सामूहिकता के जरिए एक नया उदाहरण पेश किया है।

समाज के लिए प्रेरणा, योजनाओं में विश्वास

कौशाम्बी का यह आयोजन सिर्फ 298 जोड़ों की शादी नहीं थी, बल्कि यह एक सामाजिक क्रांति की झलक थी। यह दिखाता है कि जब सरकार की योजनाएं जमीनी स्तर पर सही तरीके से लागू होती हैं, तो न सिर्फ आंकड़े बदलते हैं, बल्कि लोगों का जीवन भी बदलता है।

यह समारोह एक प्रेरणा है—उन लोगों के लिए जो सीमित संसाधनों में भी गरिमा और आत्मसम्मान के साथ जीवन जीना चाहते हैं। यह एक मिसाल है—उन योजनाओं के लिए जो सच्चे अर्थों में जनता तक पहुंचती हैं।

सरकार की यह पहल केवल आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और गरिमा से परिपूर्ण जीवन की दिशा में उठाया गया एक सशक्त कदम है।


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