प्रमोशन के नाम पर रिश्वत लेते आंगनबाड़ी सुपरवाइजर रंगे हाथ गिरफ्तार
कौशांबी - तहसील चायल के ब्लॉक चायल में शुक्रवार को उस समय हड़कंप मच गया जब विजिलेंस टीम ने बाल विकास परियोजना कार्यालय पर छापा मारकर वहां तैनात आंगनबाड़ी सुपरवाइजर पुष्पा सिंह को आठ हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। पुष्पा सिंह पर आरोप है कि उन्होंने एक महिला मिनी आंगनबाड़ी कार्यकत्री से मेन आंगनबाड़ी में पदोन्नति के नाम पर पैसे की मांग की थी। वही बिजनेस टीम की इस कार्रवाई से जिलेभर के सरकारी विभागों में हड़कंप मच गया है।
घटना की शिकायत चायल क्षेत्र के चिरैयानाला गांव में मिनी आंगनबाड़ी केंद्र पर कार्यरत ममता नामक महिला कार्यकर्ता ने उत्तर प्रदेश विजिलेंस विभाग को लिखित शिकायत दी। ममता का आरोप था कि बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर पुष्पा सिंह ने उसे बुलाकर यह कहा कि शासन की ओर से आदेश आया है कि कुछ मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों को मुख्य (मेन) केंद्रों में बदला जाएगा। इसके लिए सीडीपीओ से बात हो चुकी है और उसका प्रमोशन तय है, लेकिन इसके लिए उसे आठ हजार रुपये और शैक्षणिक दस्तावेज जमा करने होंगे।
ममता को यह बात संदिग्ध लगी और उसने विजिलेंस से संपर्क किया। टीम ने पूरी योजना बनाकर जाल बिछाया और शुक्रवार को महिला सिपाहियों की सहायता से ममता को सादे कपड़ों में पुष्टाहार कार्यालय भेजा गया
शुक्रवार दोपहर करीब एक बजे ममता, विजिलेंस टीम की दो महिला सिपाहियों के साथ कार्यालय पहुंची। उस समय पुष्पा सिंह पंचायत चलौली में किसी चौपाल में मौजूद थीं। उन्हें फोन कर कार्यालय बुलाया गया। कुछ ही देर में वह पहुंचीं और सीधे कार्यालय में ममता के पास आईं। ममता ने जैसे ही उन्हें रिश्वत की राशि सौंपी, विजिलेंस टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए पुष्पा सिंह को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।
टीम के अन्य सदस्य भी पहले से आस-पास तैनात थे।जो उन्होंने कार्यालय को चारों ओर से घेर लिया और पुष्पा सिंह को प्रयागराज स्थित महिला थाने ले जाया गया। विजिलेंस टीम ने बताया कि आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है और उसे शनिवार को वाराणसी स्थित एंटी करप्शन कोर्ट में पेश किया जाएगा।
कार्यालय के अन्य कर्मचारी भी आए जांच के घेरे में
इस कार्रवाई के दौरान चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शिवबाबू भी कार्यालय में मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार, उनसे भी पूछताछ की जा सकती है कि उन्हें रिश्वत लेन-देन की जानकारी थी या नहीं। साथ ही, सीडीपीओ कार्यालय की कार्यप्रणाली भी अब जांच के दायरे में आ गई है।
इस कार्रवाई के बाद जिले में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। वही शिकायतकर्ता की तारीफ करते हुए लोगों ने विजिलेंस टीम की सराहना की है और मांग की है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। वहीं विभागीय अधिकारियों में खलबली की स्थिति है। वैसे लोगों की चर्चाओं पर जाएं तो उनका कहना है यह तो सिर्फ मोहरा है यदि और जांच हुई तो इसमें कई बड़े अधिकारी भी गिरफ्त आएंगे।
यह घटना न सिर्फ विभागीय भ्रष्टाचार का उदाहरण है बल्कि यह भी दर्शाती है कि यदि कोई आम कर्मचारी भी हिम्मत दिखाए, तो सिस्टम को जवाबदेह बनाया जा सकता है। ममता की जागरूकता और विजिलेंस की तत्परता ने एक भ्रष्ट अधिकारी को रंगे हाथों पकड़ने में सफलता दिलाई है।
ब्यूरो रिपोर्ट राकेश दिवाकर/विपिन दिवाकर
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