निरीक्षण करने पहुंचे विद्यालय जब डीएम खुद बने शिक्षक, बच्चों को कक्षा में पढ़ाया गणित और अंग्रेज़ी, बढ़ाया उत्साह

निरीक्षण करने पहुंचे विद्यालय जब डीएम खुद बने शिक्षक, बच्चों को कक्षा में पढ़ाया गणित और अंग्रेज़ी, बढ़ाया उत्साह
औचक निरीक्षण में जिलाधिकारी ने परखी शिक्षा की गुणवत्ता
जनपद कौशांबी जिलाधकारी द्वारा विद्यालयों का औचक निरीक्षण कर शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने और सरकारी स्कूलों की वास्तविक स्थिति को परखने के लिए जिलाधिकारी मधुसूदन हुल्गी ने शुक्रवार को विकासखंड मंझनपुर के उच्च प्राथमिक विद्यालय गुवारा तैयबपुर का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान बच्चों को पढ़ते देखकर न सिर्फ जिलाधिकारी संतुष्ट नजर आए, बल्कि उन्होंने खुद कक्षा में जाकर गणित और अंग्रेजी की क्लास ली और बच्चों से संवाद कर उन्हें पढ़ाया भी।
निरीक्षण के समय विद्यालय में कार्यरत इंचार्ज प्रधानाध्यापक श्रीमती कमलेश ठाकुर और सहायक अध्यापक यतीन्द्र नाथ मिश्र उपस्थित मिले। जिलाधिकारी जब विद्यालय परिसर में पहुंचे, उस समय छात्र मिड-डे मील योजना (एमडीएम) के तहत बने भोजन का सेवन कर रहे थे। जिलाधिकारी ने खाने की गुणवत्ता व मेन्यू की जानकारी ली, जो संतोषजनक पाई गई।
हालांकि, स्कूल में कुल 115 नामांकित छात्रों में से केवल 61 बच्चे ही उपस्थित पाए जाने पर नाराजगी जाहिर की। इस पर जिलाधिकारी ने इंचार्ज प्रधानाध्यापिका को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि छात्र उपस्थिति में गंभीर सुधार लाया जाए और अभिभावकों से संपर्क कर बच्चों को नियमित स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया जाए।
जिलाधिकारी ने खुद कक्षा 7 और 8 के बच्चों की कक्षा ली। बच्चों से गणित और अंग्रेजी के सवाल पूछे, किताबें पढ़वाई और खुद भी बोर्ड पर सवाल हल कर उन्हें समझाया। डीएम को क्लास में पढ़ाते देख बच्चे बहुत उत्साहित हुए। कई छात्रों ने आत्मविश्वास के साथ उत्तर दिए, जिसे सुनकर जिलाधिकारी ने उनकी सराहना की और उन्हें आगे और मेहनत करने को कहा।

जिलाधिकारी ने बच्चों से कहा, “शिक्षा ही आपकी असली ताकत है। जो बच्चे आज मेहनत करेंगे, वही कल जिले और देश का नाम रोशन करेंगे।” उन्होंने शिक्षकों से भी अपील की कि वे पढ़ाई को बोझ न बनाकर समझ और रुचि आधारित बनाएं, जिससे बच्चे सीखने में आनंद महसूस करें।
निरीक्षण के बाद जिलाधिकारी ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि विद्यालयों में नियमित उपस्थिति और पढ़ाई की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षा, भोजन, और मूलभूत सुविधाओं की स्थिति पर निगरानी बनाए रखें।

विद्यालय स्टाफ और उपस्थित छात्रों ने जिलाधिकारी का आभार जताया और भरोसा दिलाया कि वे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए गंभीरता से प्रयास करेंगे।

जिलाधिकारी का यह मानवीय और प्रेरणादायक व्यवहार एक मिसाल बन गया है। जहां एक प्रशासक ने अपने दायित्व से आगे बढ़ते हुए खुद chalk और blackboard संभाल लिया। यह कदम निश्चित ही जिले के अन्य स्कूलों के लिए भी एक 
सकारात्मक संदेश है कि शिक्षा सिर्फ आंकड़ों से नहीं, सीधे बच्चों के मन से जुड़कर बदली जा सकती है।

ब्यूरो- राकेश दिवाकर 
    9648518828

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