राजस्व निरीक्षक मुमताज अहमद वरासत मामलों में लापरवाही बरतने पर निलंबित, जिलाधिकारी ने विभागीय जांच के दिए आदेश
निलंबित कानूनगो
जनहित से खिलवाड़ पर प्रशासन सख्त, डीएम ने कड़ा रुख अपनाते हुए दिया साफ संदेश
कौशांबी जनपद में राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर लगातार उठ रहे सवालों के बीच जिलाधिकारी मधुसूदन हुल्गी ने एक साहसिक और अनुकरणीय कदम उठाते हुए। चायल तहसील में तैनात राजस्व निरीक्षक मुमताज अहमद को वरासत संबंधी मामलों में लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। साथ ही, उनके खिलाफ विभागीय जांच बैठा दी गई है। यह कार्रवाई न केवल प्रशासनिक जवाबदेही का उदाहरण है, बल्कि पूरे जनपद में एक स्पष्ट संदेश भी दे रही है कि जनहित से जुड़ी प्रक्रियाओं में ढिलाई अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
लगातार मिल रही थीं शिकायतें
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, राजस्व निरीक्षक मुमताज अहमद के विरुद्ध कई महीनों से लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि बिना पैसे के वह कोई भी फाइल वरासत नहीं करते हैं। पैसा ना देने पर वरासत संबंधी प्रकरणों को या तो टाल मटोल करते हैं, या फिर उन्हें बिना नियमानुसार निस्तारित करते हैं। वरासत, यानी उत्तराधिकार प्रक्रिया, ग्रामीण परिवारों के लिए न केवल संपत्ति के स्वामित्व से जुड़ा संवेदनशील मसला होता है, बल्कि इससे कृषि, ऋण, और सरकारी योजनाओं से जुड़ी पात्रता भी निर्धारित होती है।
जिन किसानों और परिवारों को वर्षों से अपने जमीन की विरासत दर्ज कराने की उम्मीद थी, वे लगातार तहसील के चक्कर काट रहे थे। इस उदासीनता के चलते कई बार गांवों में आपसी झगड़े, यहां तक कि मुकदमेबाजी तक की नौबत आ गई थी।
डीएम ने लिया स्वत: संज्ञान
जिलाधिकारी हुल्गी को जब मामले की जानकारी हुई तो उन्होंने खुद इसकी गंभीरता को समझते हुए स्वतः संज्ञान लिया। प्राथमिक जांच के लिए विशेष टीम गठित की गई। जांच रिपोर्ट में सामने आया कि दर्जनों ऐसे वरासत प्रकरण लंबित थे, जिनका निस्तारण महीनों से लंबित था, जबकि संबंधित परिवार लगातार आवेदन कर रहे थे।
जांच रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि मुमताज अहमद द्वारा प्रक्रियाओं में जानबूझकर विलंब किया गया, जिससे जनहित प्रभावित हुआ। इस लापरवाही को शासन की प्राथमिकता वाली कार्य प्रणाली के विपरीत मानते हुए जिलाधिकारी ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया।
जनहित सर्वोपरि, लापरवाह अफसरों को नहीं बख्शा जाएगा: डीएम
मामले में जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा है कि जनहित के कार्यों में कोताही करने वाले किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। वरासत जैसे विषय सीधे आम लोगों की जिंदगी और अधिकार से जुड़े होते हैं। यदि एक अधिकारी की लापरवाही से किसी किसान को फसल के लिए ऋण न मिले, या किसी गरीब को सरकारी योजना का लाभ न मिले, तो यह शासन की मंशा के साथ अन्याय है।
उन्होंने सभी तहसीलों के राजस्व अधिकारियों को निर्देशित किया है कि लंबित वरासत मामलों की सूची तैयार कर एक सप्ताह के भीतर निस्तारण की रिपोर्ट प्रस्तुत करें। यदि किसी अन्य अधिकारी की भूमिका संदिग्ध पाई गई, तो उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जनता ने किया फैसले का स्वागत
डीएम की इस कार्रवाई की खबर फैलते ही आम जनता ने राहत की सांस ली है। लंबे समय से परेशान चल रहे किसान और ग्रामीण परिवारों ने प्रशासनिक सख्ती का स्वागत करते हुए कहा कि अब उम्मीद है कि उनके मामले बिना भ्रष्टाचार और चक्कर लगाए हल होंगे। एक ग्रामीण बुजुर्ग का कहना था, “अब शायद हमारी जमीन अपने नाम हो जाए, नहीं तो दो साल से बस तहसील का फेरा काट रहे हैं।”
अफसरशाही को मिला कड़ा संदेश
राजस्व निरीक्षक मुमताज अहमद के निलंबन को लेकर प्रशासनिक गलियारों में हलचल है। यह कार्रवाई राजस्व विभाग के उन अधिकारियों के लिए भी चेतावनी है, जो फाइलें दबाकर रखने और जनता को अनदेखा करने की पुरानी शैली में काम करते रहे हैं। यह स्पष्ट है कि अब शासन की प्राथमिकता जनसुनवाई, पारदर्शिता और समयबद्ध कार्य प्रणाली पर केंद्रित है।
जिलाधिकारी की यह कार्रवाई न केवल जवाबदेही की मिसाल है, बल्कि जनता और शासन के बीच भरोसे की एक नई शुरुआत भी है। अब देखने वाली बात होगी कि प्रशासनिक स्तर पर यह अनुशासनात्मक कार्रवाई किस हद तक व्यवस्था में सुधार ला पाती है।या फिर....
ब्यूरो रिपोर्ट- राकेश दिवाकर
9648518828
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