न्यू नवजीवन अस्पताल में अपेंडिक्स ऑपरेशन के बाद कुछ ही घंटे बाद युवक की मौत से मचा हड़कंप, परिजनों ने अस्पताल पर लगाया लापरवाही का आरोप
कौशाम्बी जनपद में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। सरांय अकिल थाना क्षेत्र के इच्छना गांव निवासी धीरेन्द्र कुमार उम्र लगभग (28 वर्ष) की एक निजी अस्पताल में मौत हो गई। परिजनों ने अस्पताल और डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। यह मामला बेनी राम कटरा क्षेत्र में स्थित न्यू नवजीवन हॉस्पिटल से जुड़ा है, जहां धीरेन्द्र को चार दिन पहले पेट दर्द की शिकायत पर भर्ती कराया गया था।
डॉक्टर ने बताया अपेंडिक्स, अगले दिन हुआ ऑपरेशन
परिजनों के अनुसार, धीरेन्द्र कुमार को पेट में तेज दर्द की शिकायत थी। जब दर्द असहनीय हो गया तो उसे ग्रामीण इलाके के बेनी राम कटरा स्थित न्यू नवजीवन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। वहां डॉक्टरों ने परीक्षण कर बताया कि उसे अपेंडिक्स की समस्या है और तत्काल ऑपरेशन जरूरी है। डॉक्टर की सलाह पर परिवार वालों ने ऑपरेशन के लिए सहमति दे दी।
बताया जा रहा है कि भर्ती के अगले दिन ही डॉक्टरों द्वारा उसका ऑपरेशन कर दिया गया। ऑपरेशन के तुरंत बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी। परिजनों का कहना है कि उन्होंने बार-बार डॉक्टर को सूचना दी, लेकिन कोई ठोस इलाज नहीं किया गया। इलाज में देरी और लापरवाही के चलते शनिवार की देर रात धीरेन्द्र की मौत हो गई।
वहीं मृतक धीरेंद्र के दो छोटे-छोटे बच्चे बताई जा हैं।
मौत के बाद अस्पताल में हंगामा, डॉक्टर पर गंभीर आरोप
धीरेन्द्र की मौत के बाद अस्पताल में परिजनों ने जमकर हंगामा किया। उनका आरोप है कि डॉक्टरों ने पहले तो उन्हें गुमराह किया और फिर जब मरीज की हालत बिगड़ने लगी, तो मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया।
परिजनों ने यह भी सनसनीखेज आरोप लगाया कि डॉ. हसन सिद्दीकी ने घटना को दबाने के लिए पैसे का लालच दिया। उन्होंने कहा कि डॉक्टर ने उनसे कहा कि अगर वे चुप रहें और मामले को ज्यादा न उठाएं तो उन्हें कुछ आर्थिक मदद दी जा सकती है।
स्थानीय ग्रामीणों और मृतक के परिजनों का कहना है कि न्यू नवजीवन हॉस्पिटल जैसे कई निजी अस्पतालों में बड़े-बड़े डॉक्टरों के बोर्ड लगाकर लोगों को आकर्षित किया जाता है। लेकिन हकीकत में वहां पर प्रशिक्षित डॉक्टरों की कमी है और इलाज के नाम पर केवल पैसे ऐंठे जाते हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि ये अस्पताल गाँवों के भोले-भाले मरीजों को अपनी चकाचौंध से फँसाते हैं। सरकारी अस्पतालों की स्थिति बदहाल होने के कारण लोग मजबूरी में ऐसे निजी अस्पतालों का सहारा लेते हैं, जहाँ न तो समुचित चिकित्सा सुविधा है, न ही जवाबदेही।
प्रशासन और पुलिस मौन, परिजन चाहते हैं न्याय
घटना के बाद परिजनों ने संबंधित अस्पताल प्रशासन और डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। लेकिन अब तक न तो पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक बयान आया है, न ही स्वास्थ्य विभाग ने जांच की घोषणा की है।
परिजनों का कहना है कि जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, वे चुप नहीं बैठेंगे।
न्याय की आस में परिजन
धीरेन्द्र कुमार की असमय मौत ने पूरे इलाके में आक्रोश फैला दिया है। लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर कब तक ऐसे निजी अस्पतालों की मनमानी से लोग मरते रहेंगे?
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या वाकई लापरवाही के जिम्मेदार डॉक्टरों और अस्पताल पर कार्रवाई होती है या यह मामला भी बाकी मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
ब्यूरो रिपोर्ट- राकेश दिवाकर (विश्व सहारा हिंदी दैनिक)
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