चिकित्सकीय लापरवाही ने छीनी युवक की ज़िंदगी, सर्पदंश के बाद इलाज में देरी बनी मौत की वजह

चिकित्सकीय लापरवाही ने छीनी युवक की ज़िंदगी, सर्पदंश के बाद इलाज में देरी बनी मौत की वजह
जनपद कौशाम्बी के पूरामुफ्ती थाना क्षेत्र के जनका गांव में सोमवार भोर में एक दर्दनाक घटना सामने आई, जिसने जिले के स्वास्थ्य तंत्र की सच्चाई को एक बार फिर उजागर कर दिया। बिजली कटौती के चलते छत पर सो रहे एक युवक को जहरीले सर्प ने डस लिया। परिवार ने अस्पतालों के चक्कर काटे, पर हर जगह से उन्हें सिर्फ रेफर की पर्ची मिली न इलाज, न तसल्ली। आखिरकार, रास्ते में ही युवक ने दम तोड़ दिया।
                 मृतक की फाइल फोटो

मृत युवक की पहचान अजय कुमार (उम्र 20 वर्ष) पुत्र राजेश कुमार के रूप में हुई है। जानकारी के अनुसार, सोमवार देर रात लगभग तीन बजे अजय अपने चचेरे भाई के साथ छत पर सोया हुआ था। भीषण गर्मी और बिजली न होने के कारण अधिकतर ग्रामीण अपने घरों की छतों पर सोने को मजबूर हैं। इसी दौरान, अचानक किसी जहरीले सर्प ने अजय को डस लिया। सर्पदंश के कारण उसकी नींद खुल गई और उसने तत्काल अपने बगल में सो रहे भाई को इसकी जानकारी दी।

चचेरे भाई ने तत्परता दिखाते हुए सर्प को डंडे से मार डाला और तुरंत परिजनों को सूचना दी गई। परिजन बिना समय गंवाए अजय को लेकर सीधे चायल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) पहुंचे, लेकिन वहां मौजूद चिकित्सकों का रवैया बेहद उदासीन रहा। चिकित्सकों ने न तो तत्काल इलाज शुरू किया और न ही प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराई, बल्कि गंभीर हालत में अजय को जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया।

दूसरे चरण में जब युवक को जिला अस्पताल ले जाया गया तो वहां भी यही हालात देखने को मिले। वहां मौजूद डॉक्टरों ने गंभीर रूप से घायल युवक को देखने के बजाय उन्हें फिर से तेजमती हॉस्पिटल भेज दिया। तेजमती में कुछ घंटे इलाज चला लेकिन हालत बिगड़ती देख वहां के डॉक्टरों ने भी युवक को प्रयागराज स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल के लिए रेफर कर दिया।

परिजन जैसे-तैसे अजय को लेकर प्रयागराज रवाना हुए, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। जहर पूरे शरीर में फैल चुका था और युवक की हालत नाजुक हो गई थी। प्रयागराज पहुँचने से पहले ही रास्ते में अजय की मौत हो गई। स्वरूप रानी पहुंचने पर डॉक्टरों ने युवक को मृत घोषित कर दिया और औपचारिकताएं पूरी कीं।

इस पूरे घटनाक्रम से एक बात साफ हो गई है कि जनपद में प्राथमिक से लेकर जिला स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं केवल कागजों तक सीमित रह गई हैं। यदि शुरुआत में ही किसी भी अस्पताल में समय रहते इलाज शुरू कर दिया गया होता, तो शायद अजय की जान बचाई जा सकती थी। यह न केवल एक परिवार की बर्बादी है, बल्कि सिस्टम की विफलता का एक ज्वलंत उदाहरण भी है।

ग्रामीणों और परिजनों में स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही को लेकर भारी आक्रोश है। मृतक के परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और संबंधित अस्पतालों की भूमिका की जांच की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसी घटनाएं अगर यूं ही होती रहीं, तो आम आदमी का सरकारी अस्पतालों से विश्वास उठ जाएगा।

अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है। परिजनों की मांग है कि दोषी चिकित्सकों पर सख्त कार्रवाई की जाए और सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं में सुधार किया जाए, ताकि भविष्य में किसी और अजय को अपनी जान न गंवानी पड़े।

ब्यूरो- राकेश दिवाकर (विश्व सहारा हिंदी दैनिक) 
                    9648518828

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