महिला को प्रसव पीड़ा होने पर बाइक से अस्पताल ले जाते समय रास्ते में दिया बच्ची को जन्म, माँ-बेटी दोनों स्वस्थ
प्रसव के दौरान मदद करती महिलाएं
ज़िंदगी के सफर में कई बार ऐसे पल आते हैं, जो इंसान को हैरान भी करते हैं और राहत भी देते हैं। कौशांबी ज़िले में एक ऐसा ही वाकया उस समय सामने आया, जब प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिला ने अस्पताल पहुँचने से पहले ही रास्ते में बच्ची को जन्म दिया। परिजनों की घबराहट के बीच राहगीरों ने मदद का हाथ बढ़ाया और आखिरकार माँ और बेटी दोनों सुरक्षित अस्पताल पहुँच गईं। महिला का यह पहला ही बच्चा है।
अचानक शुरू हुई प्रसव पीड़ा
कौशांबी तहसील चायल के नगर पंचायत चायल वार्ड नंबर 1 डीहा निवासी अजय कुमार की पत्नी सुष्मिता गर्भवती थीं। सोमवार सुबह उन्हें अचानक प्रसव पीड़ा दर्द शुरू हुआ। जैसे ही परिजनों को यह बात पता चली, उन्होंने बिना देर किए सुष्मिता को बाइक पर बैठाया और तुरंत चायल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) की ओर निकल पड़े।
परिजनों को उम्मीद थी कि वे जल्द ही अस्पताल पहुँच जाएंगे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था।
आदर्श आईटीआई के पास ही हो गया प्रसव
जैसे ही अजय बाइक लेकर आदर्श आईटीआई कॉलेज के सामने पहुँचे, सुष्मिता की प्रसव पीड़ा असहनीय हो गई। मजबूर होकर अजय ने बाइक वहीँ रोक दी। परिवार के लोग कुछ समझ पाते, उससे पहले ही सुष्मिता ने सड़क किनारे ही एक बच्ची को जन्म दे दिया। यह दृश्य देखकर परिजन तो सकते में आ गए, लेकिन वहीं मौजूद राहगीरों ने तुरंत मदद के लिए हाथ बढ़ाया।
राहगीर महिलाओं ने दिखाया इंसानियत
राहगीरों ने तत्काल महिला के चारों ओर घेरा बनाकर निजता बनाए रखने का प्रयास किया। आसपास मौजूद कुछ महिलाएँ भी आगे आईं और नवजात व माँ को संभालने में मदद की। लोग कपड़े और दुपट्टे लाकर माँ और बच्ची को ढकने लगे, ताकि वे सुरक्षित रहें। इसके बाद सभी ने मिलकर जच्चा-बच्चा को संभाला और सीएचसी चायल तक पहुँचाया।
चायल सीएचसी पहुँचते ही डॉक्टरों ने तुरंत महिला और नवजात की जाँच की। चिकित्सकों ने बताया कि माँ और बच्ची दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं।
इस मुश्किल घड़ी में इंसानियत का परिचय देने वाले राहगीरों के प्रति परिजनों ने आभार जताया।
ग्रामीण क्षेत्रों की हकीकत
यह घटना सिर्फ इंसानियत की मिसाल ही नहीं है, बल्कि ग्रामीण इलाकों की स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत भी उजागर करती है। अक्सर ऐसा होता है कि समय पर अस्पताल न पहुँच पाने की वजह से गर्भवती महिलाओं को रास्ते में ही बच्चे को जन्म देना पड़ता है।
इंसानियत बनी मिसाल
आज के समय में जब अक्सर लोग सड़क पर किसी घटना को देखकर भी अनदेखा कर देते हैं, ऐसे में यह घटना समाज के लिए प्रेरणादायक है। राहगीरों ने जिस तरह से मदद की, वह यह साबित करता है कि मानवता आज भी जिंदा है।
हर कोई यही कहता नज़र आ रहा है कि यह तो "माँ और बच्ची की मुस्कान ही इंसानियत की सबसे बड़ी जीत है।"
रिपोर्ट- विपिन दिवाकर/दीपू दिवाकर
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