न्यायालय के आदेश पर ग्राम रक्सौली में तालाब का सीमांकन, जिलाधिकारी की मौजूदगी में अवैध कब्जाधारियों पर कार्रवाई के निर्देश

न्यायालय के आदेश पर ग्राम रक्सौली में तालाब का सीमांकन, जिलाधिकारी की मौजूदगी में अवैध कब्जाधारियों पर कार्रवाई के निर्देश
कौशांबी जनपद के रक्सौली गांव में शनिवार को प्रशासन ने एक बड़ी कार्यवाही करते हुए तालाब संख्या-723 का सीमांकन कराया। यह कार्यवाही मा. उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में दायर रिट याचिका के क्रम में गठित टीम की उपस्थिति में की गई। मौके पर स्वयं जिलाधिकारी मधुसूदन हुल्गी पहुंचे और सीमांकन कार्य का गहन निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने राजस्व अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि अवैध कब्जों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त न किया जाए और तत्काल कार्रवाई अमल में लाई जाए।

उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रशासन की सख्ती

सूत्रों के अनुसार, रक्सौली गांव स्थित राजस्व अभिलेखों में दर्ज तालाब संख्या-723 पर लंबे समय से अवैध कब्जों की शिकायतें मिल रही थीं। ग्रामीणों ने भी कई बार इस समस्या को उठाया, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी थी। मामला उच्च न्यायालय पहुंचने के बाद न्यायालय ने संज्ञान लिया और जिलाधिकारी के नेतृत्व में एक टीम गठित कर तालाब की भूमि का सीमांकन कराने का आदेश दिया। इसी आदेश के तहत शनिवार को राजस्व टीम, उच्च न्यायालय की समिति और प्रशासनिक अफसरों की मौजूदगी में सीमांकन कराया गया।

जिलाधिकारी का सख्त रुख

मौके पर पहुंचे जिलाधिकारी मधुसूदन हुल्गी ने स्पष्ट किया कि तालाब की भूमि पर कब्जा कर मकान बनाने वाले लोगों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने तहसीलदार मंझनपुर को आदेश दिया कि कब्जाधारियों के खिलाफ उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता-2006 की धारा-67 के अंतर्गत वाद दर्ज कर तत्काल बेदखली की कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि तालाब और सार्वजनिक भूमि को सुरक्षित रखना प्रशासन का पहला दायित्व है और इसमें किसी भी स्तर की ढिलाई अस्वीकार्य होगी।

जिलाधिकारी ने अधिकारियों को यह चेतावनी भी दी कि यदि भविष्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही सामने आती है तो जिम्मेदार राजस्व कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की जाएगी।

अवैध कब्जों से परेशान ग्रामीण

ग्राम रक्सौली के ग्रामीणों का कहना है कि तालाब पर लगातार अवैध कब्जे बढ़ते जा रहे थे। जहां कभी तालाब का पानी भरा रहता था और गांव की जरूरतें पूरी होती थीं, वहीं अब धीरे-धीरे पक्के मकान और निर्माण खड़े हो गए हैं। ग्रामीणों ने राहत की सांस लेते हुए कहा कि न्यायालय के आदेश पर प्रशासन ने सही समय पर कदम उठाया है। उनका मानना है कि यदि समय रहते कार्रवाई हो जाए तो न केवल तालाब पुनर्जीवित होगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी जल संरक्षण का बड़ा साधन उपलब्ध रहेगा।

न्यायालय की पहल से बढ़ी उम्मीद

ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन की यह कार्रवाई अन्य जगहों के लिए भी उदाहरण बनेगी। जिले में कई तालाब और पोखरे हैं, जिन पर धीरे-धीरे अवैध कब्जे हो रहे हैं। न्यायालय की पहल से अब उम्मीद जगी है कि ऐसे सभी तालाबों को चिन्हित कर सुरक्षित किया जाएगा। इससे न केवल पर्यावरण संतुलन बनेगा बल्कि जल संकट की समस्या से भी राहत मिलेगी।

मौके पर मौजूदगी और माहौल

सीमांकन के दौरान राजस्व अधिकारियों के साथ-साथ उच्च न्यायालय द्वारा गठित प्रतिनिधि दल और बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीण मौजूद रहे। ग्रामीणों ने प्रशासन की कार्रवाई का स्वागत किया। हालांकि, अवैध कब्जाधारियों में हड़कंप मच गया है। जिन लोगों ने तालाब की भूमि पर पक्का निर्माण कर लिया था, वे कार्रवाई की आशंका से परेशान दिखाई दिए।

प्रशासन का संदेश

जिलाधिकारी ने ग्रामीणों से अपील की कि वे प्रशासन का सहयोग करें और सार्वजनिक भूमि को सुरक्षित रखने में अपनी भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि यदि कहीं भी अवैध कब्जे की जानकारी हो तो तुरंत प्रशासन को सूचित करें ताकि समय पर कार्रवाई की जा सके।

जिलाधिकारी का सख्त संदेश इस बात का संकेत है कि अब प्रशासन अवैध कब्जों को लेकर नरमी नहीं बरतेगा। उच्च न्यायालय के आदेश ने इस मामले में निर्णायक भूमिका निभाई है। इस कार्रवाई ने जहां ग्रामीणों में विश्वास पैदा किया है, वहीं अवैध कब्जाधारियों में खौफ भी नजर आ रहा है। आने वाले दिनों में इस तरह की और कार्यवाहियां देखने को मिल सकती हैं।

ब्यूरो राकेश दिवाकर (विश्व सहारा हिंदी दैनिक)
व Bharat TV Gramin 9648518828

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