गौहनिया फ्लाईओवर में आई दरार से राहगीर परेशान, उठने लगे कई सवाल, निर्माण के दौरान कमीशनखोरी का शिकार तो नहीं ?

गौहनिया फ्लाईओवर में आई दरार से राहगीर परेशान, उठने लगे कई सवाल, निर्माण के दौरान कमीशनखोरी का शिकार तो नहीं ?

जनपद प्रयागराज के गौहनिया फ्लाईओवर में आई दरार ने राहगीरों और वाहन चालकों के सामने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। रोज़ाना इस फ्लाईओवर से हजारों की संख्या में लोग गुजरते हैं, लेकिन बीच में आई दरार से दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। अब तक कई राहगीर इस वजह से चोटिल भी हो चुके हैं। वहीं, स्थानीय लोग फ्लाईओवर की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर रहे हैं और कह रहे हैं कि यह कहीं मोटे कमीशनखोरी का परिणाम तो नहीं है।

लोगों में आक्रोश, उठे सवाल

गौहनिया क्षेत्र के लोगों का कहना है कि जब अंग्रेजों के जमाने में बने पुल आज भी मजबूती से खड़े हैं और उन पर बिना किसी बड़ी मरम्मत के यातायात सुचारू रूप से चल रहा है, तो फिर आधुनिक तकनीक से बने इस फ्लाईओवर में कुछ ही वर्षों में दरार क्यों पड़ गई? लोगों का आरोप है कि निर्माण में भारी भरकम घोटाला हुआ है। काम में घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया है और जिम्मेदारों ने केवल मोटे कमीशन की खातिर जनता की सुरक्षा से खिलवाड़ किया है।

हादसों का खतरा

स्थानीय लोगों के अनुसार, दरार बढ़ती जा रही है और इससे गुजरने वाले टू-व्हीलर चालक सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। कई बार वाहन का पहिया दरार में फंसने से हादसा होते-होते बचा है। छोटे बच्चे और बुजुर्ग यात्री इसमें सबसे ज्यादा खतरे में हैं। लोग रोजमर्रा की मजबूरी के कारण इस फ्लाईओवर से गुजरने को मजबूर हैं, लेकिन उनके मन में डर साफ दिखाई देता है। पुल में पड़ी दरार लोगों के लिए जान का खतरा बनीहई है।

जिम्मेदारी किसकी?

सवाल यह है कि आखिर इस स्थिति के लिए जिम्मेदार कौन है। क्या यह निर्माण एजेंसी की लापरवाही है या फिर अधिकारियों की निगरानी की कमी? स्थानीय लोग कह रहे हैं कि जब फ्लाईओवर का निर्माण हुआ था, तभी गुणवत्ता को लेकर आवाज़ उठाई गई थी, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी। अब वही डर सच साबित हो रहा है।

अंग्रेजों के जमाने के पुल बने मिसाल

ग्रामीणों का तर्क है कि अंग्रेजों के जमाने में बने कई पुल आज भी मजबूती से खड़े हैं और सैकड़ों वर्षों के बावजूद उन पर यातायात सुचारू रूप से जारी है। उदाहरण देते हुए लोगों ने कहा कि अगर उस जमाने में बिना आधुनिक तकनीक और सीमित संसाधनों के इतने मजबूत पुल बन सकते थे, तो आज की उन्नत तकनीक और बड़े बजट में बने फ्लाईओवर इतनी जल्दी क्यों टूटने लगे? यह सीधा-सीधा भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण का उदाहरण है।

प्रशासन से जांच की मांग

लोगों ने प्रशासन और सरकार से मांग की है कि इस फ्लाईओवर की पूरी जांच कराई जाए। निर्माण की प्रक्रिया से लेकर सामग्री की गुणवत्ता तक सब कुछ परखने की जरूरत है। यदि जांच में गड़बड़ी सामने आती है, तो जिम्मेदार अधिकारियों और निर्माण एजेंसी के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।

भविष्य की चिंता

ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते मरम्मत और सुधार का काम नहीं हुआ, तो आने वाले दिनों में बड़ी दुर्घटना हो सकती है। भारी वाहनों के दबाव से दरार और बढ़ सकती है, जिससे पुल की संरचना कमजोर हो जाएगी। इसका सीधा असर हजारों लोगों के जीवन पर पड़ेगा।

प्रशासन मौन क्यों?

अभी तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि संबंधित विभाग मामले को नजरअंदाज कर रहा है। यह स्थिति तब है जब मामला लोगों की जान से जुड़ा हुआ है।

गौहनिया फ्लाईओवर में आई दरार ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या वाकई जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा घटिया निर्माण में बर्बाद हो गया? क्या यह मामला केवल कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया? फिलहाल लोग डरे-सहमे इस फ्लाईओवर से गुजरने को मजबूर हैं और उम्मीद लगाए बैठे हैं कि प्रशासन जल्द से जल्द इस पर कार्रवाई करेगा।

चीफ एडिटर-राकेश दिवाकर 9454139866

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