जिलाधिकारी ने की बाल कल्याण समिति की बैठक, लंबित प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण और पास्को मामलों पर दिए सख्त निर्देश

जिलाधिकारी ने की बाल कल्याण समिति की बैठक, लंबित प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण और पास्को मामलों पर दिए सख्त निर्देश
कौशांबी। बच्चों की सुरक्षा, कल्याण और उनके अधिकारों की रक्षा प्रशासन की प्राथमिकता में शामिल है। इसी क्रम में जिलाधिकारी मधुसूदन हुल्गी ने शुक्रवार को अपने कार्यालय कक्ष में बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) की महत्वपूर्ण बैठक की। इस दौरान उन्होंने बाल संरक्षण से जुड़ी योजनाओं और लंबित प्रकरणों की विस्तार से समीक्षा की और अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि किसी भी स्थिति में बच्चों से जुड़ी समस्याओं के समाधान में देरी न हो।

बैठक की शुरुआत में जिलाधिकारी ने रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष के अंतर्गत मिलने वाले लाभों की समीक्षा की। उन्होंने पाया कि कुछ पात्र लाभार्थियों के खाते अभी तक नहीं खुल पाए हैं। इस पर उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी अवशेष खातों को जल्द से जल्द खोला जाए, ताकि कोई भी लाभार्थी योजना से वंचित न रहे। उन्होंने यह भी कहा कि खातों के खुलने में किसी प्रकार की लापरवाही पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।

बैठक में जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि बाल कल्याण समिति के समक्ष आने वाले मामलों को शीघ्र निस्तारित किया जाए। उन्होंने अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति कमलेश चंद्र को निर्देश दिया कि समिति के पास जो भी प्रकरण लंबित हैं, उन्हें प्राथमिकता से निपटाया जाए। बच्चों से जुड़े मामलों में लापरवाही को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि किसी बच्चे को न्याय या सुरक्षा के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा, तो यह प्रशासन की गंभीर विफलता मानी जाएगी।

बैठक में जिलाधिकारी ने पास्को (POCSO) मामलों पर भी विशेष ध्यान दिया। उन्होंने निर्देश दिए कि ऐसे मामलों में सहायक व्यक्ति को अनिवार्य रूप से नामित किया जाए। जिलाधिकारी ने कहा कि पॉक्सो एक्ट के तहत बाल यौन उत्पीड़न के पीड़ित बच्चों को संवेदनशीलता और त्वरित सहायता की आवश्यकता होती है। इसलिए हर मामले में सहायक व्यक्ति की तैनाती यह सुनिश्चित करेगी कि बच्चा न्यायिक प्रक्रिया में अकेला महसूस न करे और उसे आवश्यक सहयोग मिल सके।

उन्होंने संबंधित अधिकारियों को यह भी निर्देशित किया कि बाल संरक्षण की योजनाओं को केवल कागजों तक सीमित न रखा जाए, बल्कि धरातल पर इनके परिणाम स्पष्ट दिखाई देने चाहिए। बाल कल्याण समिति का उद्देश्य केवल मामलों का निस्तारण करना ही नहीं बल्कि बच्चों के पुनर्वास, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना भी है।

जिलाधिकारी ने कहा कि यदि किसी कारण से प्रकरण लंबित रह जाते हैं तो समिति को उनकी सूची तैयार कर समयबद्ध ढंग से उनका समाधान करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि बाल कल्याण समिति को हर उस बच्चे तक पहुँचना होगा जिसे मदद की जरूरत है, चाहे वह सड़क पर हो, बाल श्रम में फंसा हो या फिर किसी प्रकार की हिंसा का शिकार हो।

बैठक में मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. संजय कुमार भी मौजूद रहे। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की ओर से बच्चों के लिए संचालित कार्यक्रमों की जानकारी दी और भरोसा दिलाया कि सभी ज़रूरी चिकित्सा सेवाएं समय से उपलब्ध कराई जाएंगी। जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया कि बाल संरक्षण से जुड़े सभी मामलों में त्वरित चिकित्सा सहायता और परामर्श उपलब्ध कराया जाए।

इसके अलावा अन्य संबंधित अधिकारियों ने भी अपनी-अपनी कार्ययोजनाएं प्रस्तुत कीं और बताया कि वे बच्चों के कल्याण के लिए किस प्रकार से कार्य कर रहे हैं। जिलाधिकारी ने सभी अधिकारियों से कहा कि वे अपने विभागीय कार्यों को समन्वय के साथ आगे बढ़ाएं ताकि बच्चों से संबंधित मामलों का प्रभावी समाधान हो सके।

बैठक के अंत में जिलाधिकारी ने कहा कि बाल कल्याण समिति केवल एक औपचारिक संस्था नहीं है, बल्कि यह समाज के सबसे संवेदनशील और नाजुक वर्ग–बच्चों–के जीवन से जुड़ी है। इसलिए समिति और प्रशासन दोनों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी बच्चा न्याय और संरक्षण से वंचित न रह जाए। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि यदि भविष्य में किसी भी स्तर पर उदासीनता या लापरवाही पाई जाती है तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।

ब्यूरो रिपोर्ट- राकेश दिवाकर/दीपू दिवाकर 
                  9848518828

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