मुख्य न्यायमूर्ति गवई पहुंचे कौशांबी अलामचंद कालेज किया वार्षिक समारोह का शुभारंभ,
कहा शिक्षा ही बदल सकती है भविष्य
कौशाम्बी। महेश्वरी प्रसाद इंटर कॉलेज आलमचन्द्र में शनिवार को भव्य वार्षिक दिवस समारोह का आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ भारत के माननीय मुख्य न्यायमूर्ति श्री भूषण रामकृष्ण गवई जी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री अरुण भंसाली, इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव, उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति कुणाल रवि सिंह व न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह सहित कई विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे। मंच से उपस्थित माननीय न्यायाधीशों ने कॉलेज द्वारा प्रकाशित पुस्तक का विमोचन भी किया।
समारोह में छात्र-छात्राओं को विभिन्न स्मृति छात्रवृत्तियां प्रदान की गईं। “प्रतिभा श्रीवास्तव स्मृति छात्रवृत्ति” छात्रा जान्हवी को दी गई। “शकुंतला श्रीवास्तव स्मृति छात्रवृत्ति” सना परवीन, सृष्टि यादव, मनोरमा कुमारी और अभिषेक कुमार को मिली, जबकि “विशेषनाथ एकल छात्रवृत्ति” प्रियंका गुप्ता, आयुष सिंह और नितिन सिंह को प्रदान की गई। मंच से छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति गवई जी ने कहा कि प्रतिभा अवसर की मोहताज नहीं होती, बल्कि योग्य मार्गदर्शन और अनुशासन से सफलता मिलती है।
वहीं उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति विक्रम नाथ अपनी जड़ों से जुड़े हुए व्यक्तित्व हैं, जो यह संदेश देते हैं कि चाहे व्यक्ति कितना भी बड़ा हो जाए, उसे अपनी मिट्टी और संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यालय के बच्चों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम भारतीय संस्कृति की “विविधता में एकता” का सशक्त उदाहरण हैं। कौशाम्बी की धरती भगवान बुद्ध के चरणों से पवित्र है, यहां की संस्कृति ज्ञान और करुणा का संदेश देती है।
मुख्य न्यायमूर्ति ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा का अधिकार देता है, यह मात्र कानून नहीं, बल्कि समान अवसर की गारंटी है। उन्होंने बच्चों से कहा– “आप ही कल के भारत का निर्माण करेंगे। आप जितने मजबूत, अनुशासित और शिक्षित होंगे, भारत उतना ही विकसित होगा।”
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने कहा कि शिक्षा और परिश्रम जीवन के दो मजबूत आधार हैं। बिना मेहनत के कोई भी सफलता स्थायी नहीं होती। इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली ने कहा कि वर्ष 1966 में जब इस क्षेत्र में शिक्षा का कोई उजाला नहीं था, तब इस विद्यालय की स्थापना की गई। आज यह संस्थान 2700 से अधिक विद्यार्थियों का भविष्य संवार रहा है। उन्होंने कहा, “यह कॉलेज सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत की प्रतिभा को राष्ट्र निर्माण की धारा से जोड़ने वाला पुल है।”
उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 21(क) का उल्लेख करते हुए कहा कि शिक्षा वह कुंजी है, जो लोकतंत्र के सबसे जटिल ताले को भी खोल सकती है। शिक्षा व्यक्ति को अधिकारों के प्रति जागरूक करती है, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का साहस देती है। “शिक्षा केवल नौकरी दिलाने का माध्यम नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण और राष्ट्र सेवा का मार्ग है।”
कार्यक्रम में प्रयागराज मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल, पुलिस महानिरीक्षक अजय कुमार मिश्रा, जिलाधिकारी डॉ. अमित पाल, पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार, मुख्य विकास अधिकारी विनोद राम त्रिपाठी समेत कई अधिकारी उपस्थित रहे। कॉलेज प्रबंधक वत्सल नाथ और प्रधानाचार्य जितेंद्र नाथ श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। समारोह के अंत में छात्र-छात्राओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों से उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया।
राकेश दिवाकर/विपिन दिवाकर
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