माघ मेला, बोर्ड परीक्षा और त्योहारों को लेकर कौशाम्बी में बड़ा प्रशासनिक फैसला, 90 दिन तक लागू रहेगी धारा-163

माघ मेला, बोर्ड परीक्षा और त्योहारों को लेकर कौशाम्बी में बड़ा प्रशासनिक फैसला, 90 दिन तक लागू रहेगी धारा-163
कौशाम्बीजनपद में शांति, कानून-व्यवस्था और जनसुरक्षा बनाए रखने के उद्देश्य से जिला प्रशासन ने कड़ा कदम उठाया है। माघ मेला 2026, हाईस्कूल व इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षाओं, प्रतियोगी परीक्षाओं तथा आगामी महीनों में पड़ने वाले प्रमुख धार्मिक और सामाजिक त्योहारों को शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न कराने के लिए जनपद कौशाम्बी के सम्पूर्ण सीमा क्षेत्र में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा-163 लागू कर दी गई है। यह आदेश 13 दिसंबर 2025 से प्रभावी होकर 12 मार्च 2026 तक लागू रहेगा।

जिला मजिस्ट्रेट डॉ. अमित पाल ने बताया कि कौशाम्बी जनपद शांति व्यवस्था के दृष्टिगत संवेदनशील श्रेणी में आता है। पौष पूर्णिमा से प्रारंभ होकर महाशिवरात्रि तक चलने वाले माघ मेला 2026, वर्ष 2026 की बोर्ड परीक्षाएं, प्रतियोगी परीक्षाएं और क्रिसमस डे, नववर्ष, हजरत अली का जन्मदिवस, मकर संक्रांति, बसंत पंचमी, महाशिवरात्रि, होलिका दहन व होली जैसे त्योहारों के दौरान असामाजिक, साम्प्रदायिक व शरारती तत्वों द्वारा माहौल बिगाड़ने की आशंका बनी रहती है। इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए निषेधाज्ञा लागू की गई है।

जारी आदेश के अनुसार सामान्य परिस्थितियों को छोड़कर जनपद के किसी भी स्थान पर पांच या उससे अधिक व्यक्तियों का ऐसा समूह एकत्रित नहीं होगा, जिससे लोक शांति, कानून-व्यवस्था अथवा जनसुरक्षा प्रभावित होने की आशंका हो। हालांकि यह प्रतिबंध शव यात्रा, बारात एवं विवाह समारोहों पर लागू नहीं होगा। किसी भी व्यक्ति को लाठी, डंडा, भाला, बल्लम, आग्नेयास्त्र, धारदार या कुंद हथियार लेकर चलने अथवा एकत्र करने की अनुमति नहीं होगी। यह छूट केवल ड्यूटी पर तैनात पुलिस, पीएसी, पीआरडी, होमगार्ड, सरकारी कर्मचारियों तथा रोगी व दिव्यांग व्यक्तियों को दी गई है।

आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कोई भी व्यक्ति, संगठन या समुदाय जनसमूह को एकत्र कर साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का प्रयास नहीं करेगा। अफवाह फैलाने, मिथ्या प्रचार करने, भड़काऊ भाषण देने, उत्तेजक नारे लगाने तथा आपत्तिजनक पोस्ट, ऑडियो-वीडियो या संदेश सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित करने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। किसी भी धर्म, पंथ या समुदाय के महापुरुषों, देवी-देवताओं का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अनादर करने वाली गतिविधियां दंडनीय होंगी।

धार्मिक, सामाजिक आयोजनों, जुलूसों व कार्यक्रमों में डीजे, लाउडस्पीकर और साउंड बॉक्स का प्रयोग सक्षम मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति के बिना नहीं किया जा सकेगा। ध्वनि की सीमा ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण नियम-2000 के तहत निर्धारित मानकों के अनुरूप होगी। पूजा-पंडालों व धार्मिक स्थलों पर अश्लील गीत, नृत्य और भड़काऊ कार्यक्रमों पर सख्त रोक रहेगी।

इसके साथ ही परीक्षा केंद्रों के 200 मीटर के दायरे में पांच या उससे अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर प्रतिबंध रहेगा, ताकि परीक्षाएं शांतिपूर्ण और निष्पक्ष ढंग से सम्पन्न हो सकें। सार्वजनिक और धार्मिक स्थलों के आसपास मांस और मदिरा की बिक्री व सेवन भी प्रतिबंधित रहेगा।

जिला मजिस्ट्रेट ने कहा कि विशेष परिस्थितियों में इस अवधि के दौरान आदेशों में संशोधन या उन्हें समाप्त भी किया जा सकता है। धारा-163 के आदेशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-223 के अंतर्गत सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने जनपदवासियों से अपील की है कि वे नियमों का पालन करें और शांति, सौहार्द तथा कानून-व्यवस्था बनाए रखने में प्रशासन का सहयोग करें।

ब्यूरो रिपोर्ट- राकेश दिवाकर/विपिन दिवाकर 
       9648518828,9454139866

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