ससुर खदेरी पुल के पास पड़ी पॉलिथीन के अंदर मिली नवजात शिशु का शव, मानवता हुई शर्मसार

ससुर खदेरी पुल के पास पड़ी पॉलिथीन के अंदर मिली नवजात शिशु का शव, मानवता हुई शर्मसार 
जनपद कौशांबी  थाना पिपरी क्षेत्र के मखऊपुर ससुर खदेरी नदी पुल के पास शनिवार सुबह उस समय हड़कंप मच गया जब लोग शौच के लिए गए तो पुल के पास एक नवजात शिशु का शव पॉलिथीन में लिपटा हुआ पड़ा देखा और खून के निशान साफ दिखाई दे रहा था। स्थानीय लोगों ने जैसे ही देखा तो यह खबर गांव में फैली, देखते ही देखते मौके पर ग्रामीणों व राहगीरों की भारी भीड़ जुट गई। हर कोई इस अमानवीय घटना को लेकर स्तब्ध और आक्रोशित नजर आया। ग्रामीणों के अनुसार सुबह कुछ लोग नदी पुल की ओर शौच के लिए गए थे। तभी पुल के पास पड़ी एक संदिग्ध पॉलिथीन पर उनकी नजर पड़ी, जिस पर खून लगा हुआ था। संदेह होने पर जब पॉलिथीन को खोलकर देखा गया तो उसमें एक नवजात शिशु का शव दिखाई पड़ा। जो देखने से लड़की दिख रही थी यह दृश्य देख लोगों के होश उड़ गए। इसकी सूचना गांव के अन्य लोगों को भी हुई, जिसके बाद मौके पर भीड़ देखने के लिए उमड़ पड़ी। और सड़क पर चलते राहगीरों की भीड़ लग गई। स्थानीय लोगों के बीच तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं। ग्रामीणों का कहना है कि यह घटना संभवतः आसपास में चल रहे अवैध तरीके से संचालित अस्पतालें या निजी नर्सिंग होम से इसकी तार जुड़ी हो सकती है, जहां प्रसव के बाद नवजात को चोरी-छिपे यहां लाकर यहां फेंक दिया दिया गया । लोगों का यह भी कहना है कि शव को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि नवजात शिशु कन्या है, जिससे भ्रूण हत्या और नवजात हत्या जैसे गंभीर सामाजिक अपराध की आशंका और गहरा जाती है।

इस घटना को देख ग्रामीणों के चेहरों पर गुस्सा और दु:ख साफ दिखाई दे रहा था। हर कोई यही सवाल करता नजर आया कि आखिर वह मां कैसी होगी, जिसने महीनों अपने कोख में रखने के बाद अपने ही बच्चे को इस तरह मौत के हवाले कर दिया। यह घटना समाज की उस कड़वी सच्चाई को उजागर करती है, जहां आज भी बेटियों को जन्म लेने से पहले ही मार दिया जाता है।
सूचना मिलते ही 100 नं. व पिपरी थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। यह घटना न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि समाज और स्वास्थ्य व्यवस्था की भूमिका पर भी गंभीर चिंतन की जरूरत बताती है। आखिर कब तक बेटियों के साथ यह जुल्म होता रहेगा और कब तक मानवता इस तरह शर्मसार होती रहेगी, यह सवाल हर संवेदनशील नागरिक के मन में गूंज रहा है।
ब्यूरो रिपोर्ट- राकेश दिवाकर (विश्व सहारा हिंदी दैनिक) 9648518828

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